यानी पांच वर्षों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की भागीदारी महज 1.1 प्रतिशत रही। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर यह सवाल गंभीर है कि जनसंख्या नियंत्रण की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर क्यों हो? जब तक पुरुषों की सक्रिय भागीदारी नहीं होगी, तब तक यह बोझ असंतुलित बना रहेगा।
महिला स्वास्थ्य पर बढ़ रहा बोझ
राज्य में महिला साक्षरता दर 52.12 प्रतिशत और लिंगानुपात 928 (2024) है, जो यह दर्शाता है कि महिलाओं को न केवल सामाजिक बल्कि स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियों का भी अतिरिक्त भार उठाना पड़ता है। 25.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है, जिससे कम उम्र में ही गर्भनिरोध की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ जाती है। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिला केंद्रित प्रचार-प्रसार ने भी पुरुषों को इस चर्चा से अलग रखा है।
अन्य परिवार नियोजन उपायों में पुरुष पीछे
राजस्थान में पिछले पांच वर्षों में कॉपर-टी का उपयोग 61,300 बार और गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल 1,82,710 बार हुआ। परिवार नियोजन के हर उपाय में महिलाएं ही आगे हैं, जबकि पुरुष पीछे।
पुरुष नसबंदी से परहेज के कारण
-पुरुष नसबंदी से परहेज के पीछे सामाजिक मिथक हैं।
-कई पुरुषों में यह धारणा है कि नसबंदी से शारीरिक कमजोरी, यौन क्षमता में कमी या सामाजिक प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है।
-राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार, 70 प्रतिशत पुरुष परिवार नियोजन को महिलाओं का काम मानते हैं।
-शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच भी बाधक है।
पुरुष नसबंदी में रुचि नहीं
-1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक जैसलमेर में 2913 महिलाओं और 3 पुरुषों के नसबंदी ऑपरेशन किए गए।
-1 अप्रैल 2025 से अब तक 1 पुरुष ने ऑपरेशन कराया है।