बारिश प्राकृतिक वरदान है, लेकिन लापरवाही इसे अभिशाप बना देती है। यदि जल संसाधन विभाग, पंचायतें और आमजन मिलकर उचित सुरक्षा इंतजाम करें तो अधिकांश हादसे रोके जा सकते हैं। गत वर्ष की घटनाओं से सबक लेते हुए अब से ही इंतजाम करना जरूरी है।
जल संसाधन विभाग और पंचायत प्रशासन ने गत वर्ष पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए थे। कई बांध, एनीकट, तालाब और फार्म पॉण्ड खुले पड़े थे, जिनमें लोग गिरकर या बहकर डूब गए। इस बार यदि पहले से तारबंदी, चेतावनी बोर्ड और निगरानी व्यवस्था नहीं की गई तो फिर जानलेवा हादसे दोहराए जा सकते हैं।
-27 जुलाई को जमवारामगढ़ के बासना बांध से भैंसों को निकालने के प्रयास में भाई बहन डूबे
-11 अगस्त को कानोता बांध में पिकनिक मनाने आए 5 दोस्त डूबे
-12 अगस्त को फागी इलाके में मासी नदी में पानी बहाव में 2 युवक बाइक सहित बहे
-चंद्रकला के नाले में डूबने से युवक की मौत
-18 अगस्त को चाकसू के बड़ली तालाब में 3 दोस्त डूबे
-18 अगस्त को चाकसू के मनोहरा तालाब में एक किशोर डूबा
-बाड़ी नदी व ढूंढ नदी में दो जने डूबे
-कोटखावदा के नर्सिंगपुरा में फार्म पॉण्ड में दो बालक डूबे
-बांसखोह के जगदीश सराेवर बांध में युवक डूबा
-पड़ासोली में मिट्टी के गड्ढे में दो बालक डूबे
-बारिश के मौसम में बहाव वाले नालों, बांधों और एनीकटों से दूर रहें।
-बच्चों को अकेले ऐसे स्थानों पर न भेजें।
-स्थानीय प्रशासन को खतरनाक स्थानों की जानकारी दें।
-ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत स्तर पर स्वयंसेवी निगरानी दल बनाए जाएं।
-बड़े बांध: जल संसाधन विभाग
-छोटे बांध : पंचायत राज विभाग
-तलाई व तालाब : ग्राम पंचायत
-फार्म पॉण्ड : किसान इनका कहना है …
गत दिवस अधिकारियों की बैठक लेकर सुरक्षा करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए हैं। कानोता बांध पर गार्ड की ड्यूटी लगा दी और चेतावनी बोर्ड भी लगाया है। वहीं कृषि विभाग को भी किसानों के खेतों में बने फार्म पॉण्ड पर तारबंदी करवाकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
–ओमप्रकाश मीना, उपखण्ड अधिकारी बस्सी