चिलचिलाती धूप और असहनीय गर्मी से जहां आमजन परेशान हैं। वहीं दोपहर एक बजे छुट्टी की घंटी बजते ही कड़ी धूप में घर की ओर जा रहे छोटे-बड़े, नन्हें-मुन्नों की परेशानी के बारे में शिक्षा विभाग पूरी तरह अंजान है। स्कूल छुट्टी होने के बाद आग बरसती धूप और गर्मी का कहर सहते हुए घर तक जाने में इन बच्चों को प्यास बुझाने, साइकिल चलाकर कई किमी दूर घर पहुंचने आदि कई असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। कोई कपड़ा से चेहरा ढक कर, तो कोई सर पे टोपी पहन कर गर्मी के असर को कम करने का भरपूर कोशिश करता है।
हालांकि विभागीय स्तर पर समय परिवर्तन के संबंध में फिलहाल कोई निर्देश नहीं मिला है। यही कारण है कि जिलेभर में सुबह साढ़े सात बजे से दोपहर एक बजे तक स्कूल संचालित हो रहे हैं।
दोपहर एक बजे होती है स्कूलों की छुट्टी –
जिले में गर्मी चरम पर है। भीषण गर्मी ने लोगों की दिनचर्या में बदलाव लाने को मजबूर कर दिया। लोग दोपहर में बाहर निकलने से बचने लगे हैं। सडक़ें और बाजार भी दोपहर में सूने हो जाते हैं, लेकिन स्कूली बच्चों की दिनचर्या में कोई फर्क नहीं आया है। उन्हें अब भी तपती दोपहरी में ही पसीने से लथपथ होकर घर लौटना पड़ रहा है। अभी सरकारी स्कूलों का समय सुबह 7.30 बजे से दोपहर एक बजे तक का है। एक बजे गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में बच्चों को धूप और लू के थपेड़ों के बीच ही स्कूल से घर जाना पड़ता है। शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, निजी स्कूलों की संख्या अधिक है। यहां निजी स्कूलों ने अपने बच्चों को लाने-ले जाने के लिए बसें या अन्य साधन लगा रखे हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती। लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चों की दोपहर में हालत खराब हो जाती है। गर्मी दिनों दिन अपना रौद्र रूप दिखा रही है और पारा रोज बड़ रहा है और स्कूल जाने वाले बच्चों के चहरे लाल हो रहे है। बच्चों को स्कूल आने में कम और घर जाने में ज्यादा गर्मी झेलना पड़ रही है। घर वापसी के समय बच्चों को आसमान का तापमान और नीचे से धरती की गर्मी से परेशानी उठानी पड़ रही है। क्योंकि घर वापसी के समय तेज धूप और तप रही धरती से उन नौनिहालों का पांव और शरीर दोनों जलने लगते है। गर्मी से हलाकान हो रहे हैं। अभिभावक भी बच्चों को लेकर चिंता जता रहे हैं। जब लेने जाते हैं तो गमछा साथ लेकर जाते हैं। बच्चे बस यही कह रहे है कि कलक्टर अंकल गर्मी बहुत है अब तो छुट्टी करा दो………….!