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भरतपुर

सरकारी जमीन…और छिपाई मुकदमे की बात, अब अफसर जाएंगे जेल

निचली अदालत का आदेश रोका, नगर निगम से गायब है सनातन धर्म स्कूल की फाइल

राजस्थान हाइकोर्ट ने स्कूल भूमि विवाद में दिया बड़ा फैसला

भरतपुरFeb 09, 2025 / 06:02 pm

Meghshyam Parashar

राजस्थान उच्च न्यायालय ने श्री सनातन धर्म सीनियर सैकंडरी स्कूल के मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने माना है कि स्कूल की ओर से पूर्व मुकदमे की जानकारी छिपाई थी। ऐसे में संभावित धोखाधड़ी के आधार पर फैसले की समीक्षा जरूरी है। ऐसे में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को रोककर सरकार को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने माना कि नगर निगम ने सिविल अपील दायर की थी, इसमें तर्क दिया कि स्कूल को आवंटित भूमि की लीज पहले ही रद्द कर दी गई थी और कब्जा अवैध है। अदालत ने कहा कि यह न्यायालय को गुमराह करने का मामला हो सकता है और यदि ऐसा साबित हुआ तो पूरा निर्णय शून्य घोषित किया जा सकता है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि यदि कोई पक्ष धोखाधड़ी कर फैसला लेता है तो वह शून्य माना जाएगा। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ नगर निगम प्रशासन की ओर से अपील दायर की थी, क्योंकि उनकी सिविल अपील संख्या 01/2024 को 16 मार्च 2024 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संख्या एक भरतपुर ने खारिज कर दिया था। यह अपील मूल सिविल मुकदमे संख्या 240/2022 में 12 दिसंबर 2023 को दिए गए फैसले को बरकरार रखती है, इसमें स्कूल के पक्ष में निर्णय दिया था। विवाद यह है कि सनातन धर्म सीनियर सैकंडरी स्कूल को वर्ष 1983 में 12,539.79 वर्ग गज भूमि आवंटित की गई थी। निगम ने भूमि आवंटन की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाकर आवंटन रद्द कर दिया और स्कूल को बेदखल करने का आदेश दिया था। स्कूल ने इस फैसले को पूर्व में एक रिट याचिका में चुनौती दी थी, इसमें उनके पक्ष में निर्णय हुआ था। अब उच्च न्यायालय ने पूर्व के आदेश को नहीं माना है। सूत्रों का दावा है कि एक तत्कालीन आयुक्त ने स्कूल को जमीन देने संबंधी पत्र भी स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को लिखा था। इसमें कहा था कि स्कूल को जमीन दी जाए तो कोई आपत्ति नहीं है।
नगर निगम की दलीलें

  • स्कूल ने आवंटन की शर्तों का उल्लंघन किया। इस कारण 2016 में बेदखली का आदेश दिया गया।
  • स्कूल पहले भी मुकदमा हार चुका था। मुकदमा संख्या 73/2007 खारिज हुआ था और उसकी अपील भी 2018 में खारिज हो गई थी।
  • प्रतिवादी (स्कूल) ने अदालत से महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए और धोखाधड़ी के माध्यम से नया मुकदमा दायर किया।
प्रतिवादी (सनातन धर्म स्कूल) की दलीलें
  • स्कूल 1983 से भूमि पर काबिज है और मास्टर प्लान में यह भूमि स्कूल के लिए आरक्षित है।
  • नगर निगम ने पहले मुकदमे के दौरान उचित प्रमाण पेश नहीं किए और अब वे नए तर्क दे रहे हैं।
  • पूर्व मुकदमों से वर्तमान मुकदमे का कोई लेना-देना नहीं है।
यह है उच्च न्यायालय के निर्णय का सार
कोर्ट ने कहा कि 14 मई 2024 को पारित अंतरिम रोक को स्थायी कर दिया। यानि ट्रायल कोर्ट का आदेश स्थगित रहेगा, जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता। निर्णय में मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे निचली अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई पर विचार करें, क्योंकि उन्होंने मामला ठीक से नहीं सुना। राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जांच कराएं कि क्या इस फैसले को किसी तरह की साजिश या अनियमितता के तहत प्राप्त किया गया था। सरकार को 4 माह के भीतर इस आदेश पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। अब मामले की अगली सुनवाई जुलाई 2025 में होगी।
न्यायालय ने यह प्रश्न किए तय

  • क्या 12 दिसम्बर 2023 को पारित फैसला, जो 16 मार्च 2024 को बरकरार रखा गया, धोखाधड़ी और गलत जानकारी देकर प्राप्त किया गया था?
  • क्या मुकदमा रेस जुडिकाटा के तहत अमान्य है, क्योंकि इसी मामले पर पहले भी मुकदमा खारिज हो चुका है?
  • क्या भूमि पहले ही रद्द कर दी गई थी और अगर ऐसा था तो सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करने का कोई आधार था या नहीं?
  • क्या निचली अदालतों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला सुनाया?
कोर्ट ने इस तरह दिखाई नाराजगी, यह दिए आदेश
  • मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिए कि वह निचली अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई करें।
  • सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह एंटी करप्शन ब्यूरो से मामले की जांच कराएं।
  • सरकार को चार माह के भीतर इस आदेश पर अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल करनी होगी।
निगम से गायब है स्कूल की पत्रावली
श्री सनातन धर्म उच्च माध्यमिक विद्यालय को आवंटित भूमि की मूल पत्रावली संबंधित शाखा के लिपिक को आज तक नहीं मिली है। जानकारी में आया है कि पूर्व संविदाकर्मी हरीशंकर शर्मा को पत्रावली को चार्ज में संभालने के लिए कई बार मौखिक रूप से एवं पत्र के जरिए सूचित किया गया, लेकिन आज तक पत्रावली का चार्ज नहीं दिया गया है। इस संबंध में थाना मथुरा गेट में एफआइआर कराने को भी लिख दिया गया है, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही है। बताया जा रहा है कि कई बेशकीमती जमीनों की फाइलें भी नगर निगम से गुम हैं।
इनका कहना है

-अभी पूरा फैसला मैंने पढ़ा नहीं है, लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले में एसीबी से जांच कर कार्रवाई करने को कहा है। कोर्ट ने पिछले ऑर्डर को स्टे कर दिया है। इसमें तथ्य भी पूरी तरह छिपा लिए गए थे। अब आगे लीगल राय लेकर कार्रवाई की जाएगी। फाइल गायब होने के संबंध में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
श्रवण कुमार, आयुक्त नगर निगम भरतपुर

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