सचिन ने परीक्षा में 720 में से 667 अंक हासिल किए थे और उसी आधार पर उसे जोधपुर AIIMS में एडमिशन मिल गया। इस फर्जीवाड़े की पोल तब खुली जब कचौलिया कस्बा (जिला जयपुर) निवासी भीमराव गौरा ने SOG को इस मामले की शिकायत की। SOG ने शिकायत को चौमूं थाने को भेजा, जहां 15 मई को FIR दर्ज की गई।
जांच की जिम्मेदारी जयपुर पश्चिम एसीपी अशोक चौहान को सौंपी गई, जिनकी टीम ने भरतपुर से सचिन गौरा को हिरासत में लिया। वहीं, NEET परीक्षा में असली नाम वाला युवक अजीत गौरा, जिसने सचिन की जगह परीक्षा दी थी, को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या यह सिर्फ एक ही मामला है या कोई संगठित रैकेट इस तरह की पहचान चोरी और मेडिकल एडमिशन फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा है। अधिकारियों का मानना है कि मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।