scriptभिलाई गोलीकांड: 33 साल पहले पुलिस की गोली से 17 मजदूरों की हुई थी मौत, कल मनाया जाएगा शहादत दिवस | 33 years ago, 17 workers were killed by police bullets in Bhilai | Patrika News
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भिलाई गोलीकांड: 33 साल पहले पुलिस की गोली से 17 मजदूरों की हुई थी मौत, कल मनाया जाएगा शहादत दिवस

Bhilai news: भिलाई के रेलवे स्टेशन में रेलवे पटरी पर निहत्थे प्रदर्शन कर रहे मजदूरों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। इस घटना में 17 मजदूर पुलिस की गोलियों के शिकार हुए।

भिलाईJun 30, 2025 / 01:25 pm

चंदू निर्मलकर

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दिवंगत साथियों को श्रद्धांजलि देने कल भिलाई में जुटेंगे मजदूर ( Photo – Patrika )

Bhilai news: आज से 33 साल पहले 1 जुलाई 1992 को पावर हाउस, भिलाई के रेलवे स्टेशन में रेलवे पटरी पर निहत्थे प्रदर्शन कर रहे मजदूरों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। इस घटना में 17 मजदूर पुलिस की गोलियों के शिकार हुए। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा द्वारा हर साल शहादत दिवस मनाया जाता है। इस साल भी छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने इसको लेकर तैयारी की है।

Bhilai news: 12 बजे दी जाएगी श्रद्धांजलि

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भीम राव बागड़े और अध्यक्ष जनक लाल ठाकुर ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि 1992 में छत्तीसगढ़ में पटवा सरकार थी, तब मजदूरों पर बर्बरतापूर्वक गोली चलाई गई थी। इसमें प्रदर्शन कर रहे 17 मजदूरों ने जान गंवाई थी। उनकी याद में हर साल शहादत दिवस मनाया जाता है। 1 जुलाई 25 को दोपहर 12 बजे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से मजदूर श्रद्धांजलि अर्पित करने पावर हाउस, भिलाई रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे।

नियोगी चौक में होगी सभा

उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशन में श्रद्धांजलि के बाद रैली शुरू होगी और छावनी चौक जाएगी। इसके बाद शहीद शंकर गुहा नियोगी चौक में सभा होगी। जिसमें भिलाई, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, दल्लीराजहरा, राजनांदगांव, डोगरगढ़, कवर्धा, बालोद समेत अन्य स्थान से पहुंचे सभी श्रमिक शामिल होंगे। दिवंगत श्रमिकों को श्रद्धांजलि देने के बाद सभी सभा में शामिल होंगे।
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4 श्रम कोड बिल रद्द करे सरकार

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पुराने सारे श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम कोड बिल लागू किया है। इसे रद्दे करने की मांग मोर्चा कर रहा है। नए कानून से उद्यमियों को लाभ है, मजदूरों की सुविधाओं में कटौती है। इससे मजदूरों का और शोषण होगा। इस मौके पर महामंत्री सुकलाल साहू, कलादास डहरिया, एजी कुरैशी, तुलसी देवदास, पूनाराम साहू, बसंत साहू, बंशीलाल साहू, खुमराज खरे, घनाराम साहू, मंथीर साहू, रमाकांत बंजारे, महेश साहू, भोजराम साहू, भुवन साहू, सनत जंघेल, मोहम्मद अली मौजूद थे।

आज भी जारी है मजदूरों का संघर्ष

उन्होंने बताया कि मोर्चा और श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी की मांग थी कि श्रमिकों को जीने लायक वेतन व श्रम प्रावधानों का पालन किया जाए। इसको लेकर मोर्चा ने आंदोलन शुरू किया था। इस आदोलन को कुचलने के लिए 28 सितंबर 1991 की जब कामरेड शंकर गुहा नियोगी हुडको स्थित दफ्तर में सो रहे थे, तब उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद भी संघर्ष आज भी जारी है।

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