भाजपा का दामन थामने के बाद डॉ. सीमा साहू ने कहा कि महापौर ने जिन तीन पार्षदों को एमआईसी सदस्य बनाया है, उनकी बात को मानकर ही चल रही हैं। शेष एमआईसी सदस्यों को विश्वास में लेना छोड़, अनदेखी की जा रही है। ठेकेदारों से कार्य को लेकर चर्चा करना हो या किसी विषय में रणनीति तैयार करना, वह सिर्फ तीन एमआईसी सदस्यों को ही अपने साथ लेकर चल रही हैं। ऐसे में उनके साथ बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।
CG Politics: दो सदस्यों ने पहले दिया था इस्तीफा
रिसाली के 2 एमआईसी सदस्यों ने पहले भी इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसमें वार्ड 20 के पार्षद चंद्रप्रकाश सिंह व व वार्ड 33 के पार्षद परमेश्वर कुमार हैं। इसके अलावा 5 पार्षद भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। महापौर के साथ काम करना मुश्किल: सीमा
उन्होंने कहा कि भाजपा की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर उसमें शामिल हो रही हूं। वहीं कांग्रेस से नाराज नहीं हूं। पार्टी ने टिकट दिया, पार्षद चुनकर निगम पहुंची। इसके बाद एमआईसी सदस्य बनाया गया। इस लिए पार्टी से नाराज नहीं हूं। वहां महापौर जिस तरह से काम कर रही हैं, उनके साथ काम नहीं किया जा सकता। इस तरह से अन्य एमआईसी सदस्य भी नाराज हैं। वे इस वजह से छोड़ नहीं पा रहे हैं, क्योंकि पार्टी से बंधे हुए हैं। पार्षद भी नाराज हैं।
27 से घटकर 19 होगए कांग्रेस पार्षद
नगर निगम, रिसाली में कांग्रेस को एक के बाद एक झटका मिल रहा है। यहां चुनाव के बाद कांग्रेस के पास 27 पार्षद थे। वहीं भारतीय जनता पार्टी के पास 13 पार्षद थे। प्रदेश में सरकार बदली, तो सबसे पहले दो पार्षदों ने भाजपा का दामन थामा। इसके बाद 5 पार्षद कांग्रेस छोड़कर चले गए। अब एमआईसी सदस्य ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। इस तरह से कांग्रेस के पास 19 पार्षद रह गए हैं। वहीं भाजपा के पास एक पार्षद के निधन के बाद 20 पार्षद हैं।
नाराजगी थी तो मुझसे बात करती: महापौर
महापौर शशि सिन्हा ने बताया कि कांग्रेस सरकार के वक्त किसी के साथ भेदभाव नहीं हुआ। भाजपा सरकार जब से बनी है, तब से कांग्रेस के पार्षदों के साथ भेदभाव हो रहा है। सीमा साहू को कांग्रेस पार्टी में सम्मान मिला, पार्षद और एमआईसी सदस्य बनाया। इसके बाद भी कांग्रेस का अपमान कर गई है, उनकी क्या मंशा थी नहीं मालूम। महापौर के साथ अगर नाराजगी थी, तो व्यक्तिगत बैठकर चर्चा कर सकती थीं। महापौर वाली निधी आई नहीं है। उनको क्या प्रलोभन दिया गया है, वह बता सकती हैं।
कांग्रेस नेताओं की किरकिरी
पूरे मामले में कांग्रेस के बड़े नेता जिन्होंने यहां पार्षद की टिकट से लेकर शहर सरकार के मंत्रीमंडल गठन में अहम भूमिका निभाया है, उनकी किरकिरी हो रही है। इसी तरह से संगठन के जिम्मेदार जिस तरह से हर मामले को सुलझाने की जगह, पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं, उससे पार्टी को नुकसान ही हो रहा है।