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Bhilai: मैत्रीबाग में चल रही नए मेहमान के स्वागत की तैयारी, बढ़ जाएगी पर्यटकों की संख्या कैंटीन को बंद करने के पीछे वजह प्रक्रिया में विलंब को बताया जा रहा है। बीएसपी के नगर सेवाएं विभाग व टेंडर सेल से जुड़े अधिकारी वक्त रहते निविदा से जुड़े काम को विलंब से अंजाम देते हैं। इसकी वजह से जहां प्रबंधन को राजस्व का नुकसान हो रहा है, दूसरी ओर पर्यटक चाय पानी के लिए तरस रहे हैं।
मैत्रीबाग में बच्चों को लेकर आने वाले पर्यटक परेशान हो रहे हैं। प्रबंधन ने अपनी ओर से ठंडे पानी या चाय, नाश्ता का इंतजाम नहीं रखा है। ऐसे में भीतर आने के बाद पर्यटकों को मालूम हो रहा है कि कैंटीन बंद है। बीएसपी के नगर सेवाएं विभाग को पहले पर्यटकों के लिए गर्मी में ठंडा पानी और अन्य व्यवस्था करने के बाद ही कैंटीन को बंद करना चाहिए। माहभर बंद रहने के बाद कैंटीन को फिर से शुरू किया गया था और सप्ताहभर बाद बंद कर दिया गया है।
12 लाख से अधिक आते हैं पर्यटक मैत्रीबाग में हर माह करीब एक लाख पर्यटक आते हैं। इस तरह से साल में करीब 12 लाख पर्यटक आते हैं। इसमें सबसे अधिक महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्रा और यूपी, बिहार के होते हैं।
मैत्रीबाग में हैं 340 वन्यप्राणी भिलाई इस्पात संयंत्र के नगर सेवाएं विभाग के तहत उद्यानिकी अनुभाग द्वारा संचालित मैत्रीबाग चिडिय़ाघर अब तेंदुए और भालू के जोड़े का स्वागत करने जा रहा है। इनके लिए विशेष रूप से निर्मित बाड़ों की तैयारी पूर्ण हो चुकी है, जो भारतीय केंद्रीय ज़ू प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं। मैत्रीबाग के प्रभारी व महाप्रबंधक, उद्यानिकी डॉ. नवीन कुमार जैन ने बताया कि पशु-विनिमय प्रक्रिया केंद्रीय ज़ू प्राधिकरण ने विधिवत अनुमोदित की जा चुकी है।
कृत्रिम झरना का इंतजाम गर्मी के दिनों बाड़ों में टायफा मैट, स्प्रिंकलर प्रणाली, ग्रीन नेट्स, कृत्रिम झरने और मड बाथ जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं।ं मैत्रीबाग में करीब 340 वन्य जीव हैं। इनके रखरखाव के लिए दो स्थायी चिडिय़ाघर परिचारक (ज़ू कीपर) कार्यरत हैं, जिन्हें 30 ठेका कर्मियों का सहयोग प्राप्त है।