कई बार स्कूलों का नाम आ भी रहा है, लेकिन उसमें आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही। उधर, 1 मार्च से पोर्टल को शुरू करने और फिर 3 मार्च को बंद करने के बीच जिन पालकों ने ऑनलाइन आवेदन जमा करा दिए हैं, उनको अब पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करने का विकल्प दे दिया गया है।
यह चाहिए होगी पात्रता
पहले तक शहरी इलाकों में 2007 और ग्रामीण इलाकों में 2002 की सर्वे सूची के अनुसार जो पालक गरीबी रेखा की श्रेणी में आ रहे थे, उनके बच्चों का आरटीई में दाखिला हो रहा था। अब 2011 की सामाजिक आर्थिक एवं जातिगत जनगणना के अनुसार दाखिला होगा। इसके तहत अंत्योदय कार्डधारी परिवार के बच्चों को नर्सरी, केजी वन, केजी टू और कक्षा एक में दाखिला दिया जाएगा। जिले में लगभग 6 हजार और प्रदेश के 6,511 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत आरक्षित 25 फीसदी सीटों की संख्या 83,006 है। अब भी बरकरार है पोर्टल में दिक्कत
लोक शिक्षण संचालनालय के
आरटीई पोर्टल में गड़बड़ी अब भी बरकरार है। 13 मार्च को आरटीई पोर्टल दोबारा से चालू किया गया। सॉफ्टवेयर को अपडेट किए बिना ही लॉन्च कर दिया गया। 1 मार्च को आरटीई के आवेदनों के लिए पोर्टल चालू किया गया था, लेकिन 4 मार्च को इसमें दिक्कत आने लगी। परेशानी बढ़ती देख पोर्टल को बंद कर दिया। पोर्टल पर नोटिस चस्पा किया गया कि, टेक्निकल ऐरर की वजह से बंद किया जा रहा है। इसके बाद 14 मार्च को पोर्टल फिर शुरू किया गया।
जब लोगों ने आवेदन करना शुरू किया तो इसमें वार्ड संख्या डालने की स्थिति में स्कूलों की सूची नहीं आ रही। स्कूल का विवरण नहीं है, का मैसेज डिस्प्ले हो रहा है। तय अनुसार 31 मार्च आवेदन की आखिरी तिथि है। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा कानून (आरटीई) के आवेदन सर्कुलर के हिसाब से 1 मार्च से शुरू होने थे।
इस दिन निकलेगी लॉटरी
किए गए आवेदनाें पर नोडल को 17 मार्च से 25 अप्रैल के बीच दस्तावेजों की जांच करनी है। इसके बाद 1 और 2 मई को लॉटरी निकलनी है। फिर 5 से 30 मई के बीच स्कूलों के दाखिले की प्रक्रिया का आगाज होना है। इसके बाद 2 से 16 जून के बीच द्वितीय चरण की शुरुआत होगी। 20 से 30 जून के बीच पंजीयन करेंगे और फिर 1 से 8 जुलाई तक दस्तावेजों की जांच होगी। लॉटरी के साथ आवंटन 14 और 15 जुलाई को करना है। दुर्ग जिले कि 546 निजी स्कूलों की 5967 सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। जिन पालकों द्वारा 1 मार्च तक आवेदन किया गया है, उन्हें दस्तावेजों को अपलोड करने का विकल्प नहीं मिलने के कारण संशोधन का विकल्प दिया जा रहा है। आवेदन के साथ दस्तावेज अपलोड नहीं किए हैं तो संशोधन के लिए विकल्प से दस्तावेज अपलोड कर संबंधित सहायक नोडल अधिकारी के समक्ष आवेदन सहित दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं। वर्तमान में इस योजना के तहत 3,01,317 बच्चे अध्ययनरत हैं। – अरविंद मिश्रा, डीईओ, दुर्ग