वैश्विक संकट और अमरीकी रुख के चलते विश्व की अर्थव्यवस्था में भारी हलचल रही। ऐसे में सोने-चांदी की कीमतों में लगातार उछाल रहा। लेकिन नए साल की शुरूआत व ट्रंप की ओर से टैरिफ की घोषणा का असर नजर आने लगा है। सोने-चांदी की कीमतों में कमी का क्रम पिछले दिनों शुरू हुआ, जो लगातार जारी है। पहले हर दिन बढ़ रहे सोने की दरों ने रेकॉर्ड पर रेकॉर्ड कायम किया।
पहली बार 25 फरवरी को सोने के भाव 89 हजार 250 रुपए पहुंच गए थे। इसी तरह चांदी के भाव भी पहली बार 20 फरवरी को 98 हजार 250 रुपए प्रति किलो हो गए थे। पूरे फरवरी में भारी तेजी रही। वही 28 मार्च को चांदी 1 लाख 4100 रुपए प्रति किलो हाई रिकार्ड पर पहुंची। जबकि सोना 94 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पहुंचने के बाद शुक्रवार को 92 हजार रुपए तक पहुंच गया है।
भाव बढ़ने और कम होने की अहम वजह - देश में पांच साल पहले नोटबंदी हुई, तब अचानक बंद हुए नोट के कारण मानसिकता यह हो गई कि नकदी कभी भी जीरो हो सकती है, जबकि सोना-चांदी कभी जीरो नहीं होगा।
- शेयर बाजार में पिछले कुछ समय से अस्थिरता की स्थिति है। लोगों का भारी निवेश भी मुनाफा नहीं दे पाया। कई लोगों को घाटा हुआ। ऐसे में रुझान सोने-चांदी की तरफ बढ़ा है।
- पिछले 5 सालों से जब भी वैश्विक स्तर पर असामान्य स्थिति बनी तो अर्थव्यवस्था में भी उतार-चढ़ाव आता है। ऐसे में सोने-चांदी की कीमतों पर असर आना स्वाभाविक है।
टैरिफ का पड़ा असर सर्राफा बाजार में तेजी वैश्विक स्तर पर बने कारणों से थी, लेकिन अब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप की ओर से टैरिफ लगाने से सोने-चांदी के भावों में कमी आई है। वही दूसरा बड़ा कारण लगातार सोने व चांदी में भाव बढ़ रहे है, इसमें सुधार होना था।
नवरत्न मल संचेती, अध्यक्ष, ज्वैलर्स एसोसिएशन