कांग्रेस सरकार ने शाहपुरा को जिला बनाने का 7 अगस्त 2023 को गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। इससे विकास की संभावनाएं बढ़ी, लेकिन लगातार कुछ तहसील व उपखंडों के बाशिंदों ने खुद को शाहपुरा से जोड़ने का विरोध किया। सरकार ने जिला बनने के बाद डॉ. मंजू चौधरी को शाहपुरा का पहला कलेक्टर लगाया। अभी राजेंद्रसिंह शेखावत कलेक्टर हैं। एसपी का पद तीन माह से खाली है। अन्य जिला अधिकारी भी तैनात किए। 52 दफ्तर स्वीकृत किए, जो सब बंद हो जाएंगे।
मेघवाल ने किए थे प्रयास शाहपुरा के पूर्व विधायक कैलाश मेघवाल ने शाहपुरा को जिला बनाने के काफी प्रयास किए थे। भाजपा विधायक होने के बाद तत्कालीन सीएम गहलोत से मिलकर जिले का प्रस्ताव दिया। गहलोत ने बात मानी भी थी।
संभाग भी अलग थे शाहपुरा जिले में पांच उपखंड शाहपुरा, जहाजपुर, फूलियाकलां, बनेड़ा व कोटड़ी शामिल किए। 6 तहसील शाहपुरा, जहाजपुर, काछोला, फूलियाकलां, बनेड़ा और कोटडी को इसमें मिलाया। काछोला, कोटड़ी तथा बनेड़ा क्षेत्र के लोग शाहपुरा के बजाय भीलवाड़ा जिले में रहना चाहते थे। भीलवाड़ा उदयपुर तो शाहपुरा अजमेर संभाग से जुड़ा था। अब सरकार के निर्णय के बाद पांचों उपखंड व 6 तहसील भीलवाड़ा जिले में शामिल हो जाएगी। ऐसे में भीलवाड़ा में 16 तहसील व 15 उपखंड हो जाएंगे तथा भीलवाड़ा अजमेर संभाग में शामिल होगा।
इसलिए नहीं बचा पाए दर्जा
- जिला गठन पर 100 करोड़ रुपए का था खर्चा।
- पर्याप्त जनसंख्या नहीं होने व संसाधन का अभाव।
- जनप्रतिनिधि जिला बचाने के लिए दमदार आवाज नहीं रख पाए।
- शाहपुरा संघर्ष समिति आंदोलन खड़ा नहीं कर पाई।
पत्रिका ने पाठकों को कराया था अवगत
राजस्थान पत्रिका ने शाहपुरा जिले के गठन के बाद सरकार से सुविधा नहीं मिलने पर लगातार समाचार प्रकाशित किए। जिले के समाप्त होने की आशंका से पाठकों को अवगत कराया। उसके बाद भी शाहपुरा व जहाजपुर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इसे बड़ा मुद्दा नहीं बना पाए।
फिर बदलेगा भीलवाड़ा का नक्शा शाहपुरा व भीलवाड़ा फिर से एक नक्शे में नजर आएंगे। हालांकि इसमें बदनोर क्षेत्र शामिल नहीं होगा। बदनोेर ब्यावर जिले में शामिल किया गया। जनता की फूट बनी वजह
मैंने सरकार के सामने जिला बरकरार रखने की दमदार पैरवी की थी। सीएम के सामने सारे विषय रखे। शाहपुरा जिले के सभी मापदंड पूरे नहीं कर रहा था। जहाजपुर, बनेड़ा, रायला, काछोला, रायला समेत कई क्षेत्र जिले का विरोध कर रहे थे। ये भीलवाड़ा में रहना चाह रहे थे। जनता की फूट के कारण ही शाहपुरा से जिले का ताज छीना। सरकार के सर्वे में यह बात सामने आई। जिला खत्म होने पर कई क्षेत्रों में खुशी मनाई गई। इसमें सरकार की गलती नहीं है। पुन: प्रयास रहेगा कि शाहपुरा को जिला बनाने के मापदंड पूरे किए जाएं।
– लालाराम बैरवा, विधायक, शाहपुरा विधायक ने नहीं की पैरवी विधायक ने मजबूती से शाहपुरा जिले की पैरवी नहीं की इसलिए शाहपुरा जिला समाप्त हुआ। इसका हम विरोध करेंगे। -नरेंद्र रेगर, कांग्रेस विधायक प्रत्याशी
फैसला स्वागत योग्य फैसला स्वागतयोग्य। सीएम का आभार। कांग्रेस सरकार ने वोटों की राजनीति के चलते शाहपुरा को जिला घोषित किया। शाहपुरा को जिला बनाना था तो गुलाबपुरा को इसमें शामिल करते। 120 किमी दूर बिजौलियां के कुछ हिस्सों को शाहपुरा में मिलाया था। यह केवल वोटों की राजनीति थी।
गोपीचंद मीणा, विधायक जहाजपुर कांग्रेस का विरोध प्रदेश कांग्रेस के सदस्य संदीप जीनगर, नगर अध्यक्ष बालमुकन्द तोषनीवाल, सरपंच राजेन्द्र चौधरी तथा दुर्गेश शर्मा ने शाहपुरा से जिले का दर्जा छीनने पर कड़ा विरोध जताया है। इनका कहना था, सरकार ने एक साल के जश्न पर करोड़ों खर्च कर दिए, लेकिन शाहपुरा को आधारभूत ढांचे के लिए पैसा नहीं दिया। पहली वर्षगांठ के तोहफे के रूप में जिला समाप्त कर दिया। देश में अभी राजकीय शोक व हाइकोर्ट में अवकाश चल रहा है। ऐसे समय में जनविरोधी निर्णय लिया है। शाहपुरा की जनता भाजपा सरकार को करारा जवाब देगी।