इन समुदायों के बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के लिए जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने स्पष्ट किया है कि इन बच्चों को प्रवेश देने में कोई बाधा न आए, इसके लिए केवल ’’घूमंतू जाति पहचान पत्र’’ ही पर्याप्त होगा।
तैयार होगा विशेष पहचान पत्र प्रवेश के लिए विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रारूप में बच्चे के माता-पिता का नाम, जिला, तहसील, गांव और संबंधित जाति का उल्लेख होगा। यह पहचान पत्र केवल सरकारी स्कूलों में प्रवेश के समय मान्य रहेगा। समाज कल्याण विभाग की ओर से सूचीबद्ध जातियों को इस अभियान के दायरे में लाया गया है।
प्रवेशोत्सव में चलेगा चिन्हांकन अभियान सत्र 2025-26 के प्रवेशोत्सव अभियान के दौरान संबंधित समुदाय के बच्चों को चिन्हित कर आयु के अनुसार आंगनबाड़ी या स्कूल से जोड़ा जाएगा। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अपने स्तर पर सर्वे कर अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करें।
सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा जाएगा एडीपीसी डाॅ. रामेश्वर प्रसाद जीनगर ने बताया कि इस अभियान के माध्यम से न केवल नामांकन बढ़ेगा, बल्कि घूमंतू समुदाय के बच्चों को सरकार की विभिन्न शिक्षा योजनाओं का भी लाभ मिलेगा। शिक्षा विभाग का मानना है कि इस पहल से स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी और सामाजिक समावेशिता को भी बढ़ावा मिलेगा।