अस्पताल प्रशासन ने योजना के तहत दो अत्यंत आवश्यक जांचों, सीरम इंसुलिन और सी-पेप्टाइड की संपूर्ण व्यवस्था कर ली है। इन जांचों के लिए पर्याप्त मात्रा में अत्याधुनिक रिएजेंट्स मंगवाए गए हैं, ताकि किसी भी मरीज को जांच के लिए इंतजार न करना पड़े या किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही इंसुलिन भी पर्याप्त मात्रा में स्टॉक में उपलब्ध है।
टाइप-1 मधुमेह की संभावना पर विशेष ध्यान
एमजीएच के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. वीके शर्मा ने बताया कि ऐसे मरीज जो बार-बार पेशाब आने, अत्यधिक भूख लगने, वजन में तेजी से कमी आने, लगातार प्यास लगने और अत्यधिक कमजोरी महसूस होने जैसी शिकायतें लेकर आते हैं, उनमें टाइप-1 मधुमेह की संभावना अधिक होती है। ऐसे युवा रोगियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और उनका एक व्यवस्थित हेल्थ रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।
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ऐसे तैयार होगा विस्तृत हेल्थ रिकॉर्ड
इस पहल के तहत सबसे पहले इन रोगियों की ब्लड शुगर की प्रारंभिक जांच की जाती है। इसके उपरांत उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि की विस्तृत जानकारी ली जाती है। क्योंकि मधुमेह की प्रवृत्ति अक्सर आनुवंशिक होती है। पिछले तीन महीने के शुगर स्तर को सटीक रूप से जानने के लिए एचबीएवनसी जांच की जाती है, जिसके बाद सीरम इंसुलिन और सी-पेप्टाइड की निर्णायक जांचें होती हैं। इन सभी जांचों में किसी भी तरह की गड़बड़ी या असामान्यता पाए जाने पर तुरंत और प्रभावी इलाज शुरू किया जाता है।
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इनका कहना है
ई-हेल्थ रिकॉर्ड योजना के शुरू होने के बाद से अब तक 500 से अधिक युवा मधुमेह रोगियों का पंजीकरण किया जा चुका है। सभी पंजीकृत रोगियों को अस्पताल ने व्यक्तिगत रूप से फोन करके बुलाया है। शुक्रवार को सभी जांचें की जाएंगी और आवश्यकतानुसार दवा या इंसुलिन की खुराक में भी आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।
-डॉ. अरुण गौड़, आचार्य मेडिसिन विभाग, एमजीएच