संतों के इस अडिग रुख के आगे सिंधिया ने उनका समर्थन जताते हुए कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे भी इस आंदोलन में शामिल होंगे और सभी संतों को लेकर दिल्ली तक जाएंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे जल्द ही केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर ग्वालियर से इटावा तक 108 किमी हाईवे को सिक्सलेन में बदलने का अनुरोध करेंगे।
संतों को मिला केंद्रीय मंत्री का समर्थन
संतों ने आगामी 10 अप्रैल को आंदोलन की घोषणा की है और उससे पहले 27 मार्च को भिंड के बरही चंबल पुल से ग्वालियर के जयविलास महल तक जनजागरण यात्रा निकालने का ऐलान किया है। इस यात्रा के संबंध में जब संतों ने चर्चा की, तो सिंधिया ने उन्हें पहले ही महल बुलाकर उनकी मांग को समर्थन दिया और इसे पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास का आश्वासन दिया।
कालीदास ने दिलाया सिंधिया को वादा याद
इस बैठक में अखिल भारतीय संत समाज के जिलाध्यक्ष कालीदास ने सिंधिया को उनके पुराने वादे की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि ‘आपने कहा था कि जब सभी जनप्रतिनिधि और आम लोग एकजुट होकर आएंगे, तो आप भी उनके साथ दिल्ली चलेंगे। आज जनप्रतिनिधि नहीं आए, लेकिन संत आ गए हैं।’ इस पर सिंधिया ने संतों की मांग को सही ठहराते हुए भरोसा दिलाया कि पहले वे केंद्रीय मंत्री गडकरी के समक्ष इस हाइवे का प्रस्ताव रखेंगे। यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे संतों के साथ दिल्ली जाकर भी आंदोलन में शामिल होंगे।
बैठक में शामिल रहे प्रमुख संत और समाजसेवी
इस महत्वपूर्ण बैठक में कई संतों और समाजसेवियों ने भाग लिया, जिनमें हरिनिवास अवधूत चिलोंगा, भूमिया सरकार पीठाधीश्वर हरिओम दास, संत रामभजन दास, संत शिवराम दास त्यागी बाबा, संत रामधुन दास, संत ऋषिदास, संत सतीश गोस्वामी, संत श्याम दास, संत बाल कृष्ण दास सहित भूतपूर्व सैनिक और समाजसेवी शामिल रहे। यह भी पढ़े –
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इस आंदोलन में दंदरौआ धाम के महंत रामदास भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। वे पूर्व सैनिकों और समाजसेवियों के साथ सिंधिया से मिलने पहुंचे थे। महंत रामदास ने बताया कि सिंधिया ने ग्वालियर-इटावा हाईवे को सिक्स लेन में बदलने के लिए पूरा प्रयास करने का आश्वासन दिया है।
संतों ने सड़क दुर्घटनाओं और गायों की मौत का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इस सड़क पर असुरक्षित यात्रा के कारण कई नौजवानों की मौत हो रही है, जिसे रोकने के लिए हाइवे को चौड़ा किया जाना आवश्यक है। सिंधिया ने संतों की इस चिंता को गंभीरता से लेते हुए दंदरौआ धाम के लिए टू-लेन सड़कों के प्रस्ताव को भी बनवाने का भरोसा दिया।
जब भिंड के नेताओं की निष्क्रियता पर सवाल उठा, तो दंदरौआ महंत ने कहा, “ऐसा नहीं है, देवताओं का आशीर्वाद लेना भी आवश्यक होता है। जनप्रतिनिधियों को भी इस दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए।”
संतों का संकल्प- आंदोलन जारी रहेगा
संतों का कहना है कि सिंधिया के समर्थन से उनका हौसला और मजबूत हुआ है। अब यह आंदोलन अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करके ही रुकेगा। उन्होंने दोहराया कि वे अखंड आंदोलन की राह से पीछे नहीं हटेंगे और जब तक ग्वालियर-इटावा सिक्स लेन हाईवे का निर्माण शुरू नहीं होता, वे संघर्ष जारी रखेंगे।