इंदौर हाईकोर्ट के 3 दिसंबर 2024 के आदेश पर श्रमायुक्त ने राज्य के सरकारी अधिवक्ता से अभिमत मांगा था। इस पर सरकारी अधिवक्ता भुवन गौतम ने अपना अभिमत दे दिया है। उनका कहना है कि सभी कर्मचारियों, श्रमिकों को विवादित अधिसूचना का लाभ 1 अप्रैल 2024 से ही दिया जाना चाहिए। जिस स्टे के तहत विवादित अधिसूचना के पालन पर रोक लगाई गई थी हाईकोर्ट ने उसे ही निरस्त कर दिया है। ऐसे में श्रमिकों को अप्रैल-24 से ही न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन देना उचित होगा।
यह भी पढ़ें: एमपी में कर्मचारियों के साथ बड़ी धोखाधड़ी, नियमानुसार वेतन पुनरीक्षण नहीं कर रही सरकार बता दें कि प्रदेश में न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड ने 2019 में वेतन में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी। राज्य सरकार ने अप्रैल 2024 में इसे लागू किया लेकिन कर्मचारियों, श्रमिकों को केवल एक माह ही बढ़ा हुआ वेतन मिल सका। एमजी टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने वेतनवृद्धि की अधिसूचना के संचालन व कार्यान्वयन पर स्टे लगा दिया था। 3 दिसंबर 24 को मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 8 मई-24 के अंतरिम आदेश को निरस्त कर दिया।
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हाईकोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में सरकारी अधिवक्ता का अभिमत आने के बाद न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन पर श्रम विभाग के आदेश जल्द जारी होने की उम्मीद है। हाईकोर्ट ने स्थगन बैकेट किया है, इसलिए आदेश 1 अप्रैल 2024 से ही लागू होगा यानि वेतन वृद्धि तभी से देनी पड़ेगी। इस प्रकार कर्मचारियों, श्रमिकों को 9 माह का एरियर भी देय होगा।
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इंदौर हाईकोर्ट के निर्णय के एक माह बाद भी श्रमायुक्त ने न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन का आदेश जारी नहीं किया। इस पर सीटू ने 6 जनवरी को श्रमायुक्त और श्रम विभाग के प्रमुख सचिव नोटिस भेजा जिसमें कोर्ट की अवमानना का केस लगाने की चेतावनी दी थी।