International Women’s Day: समाज को आईना दिखातीं महिला अधिकारों और स्वतंत्रता पर बनीं फिल्में
International Women’s Day 2025: 8 मार्च को देश-दुनिया में इंटरनेशनल वीमेंस डे मनाया जाएगा, महिलाओं की समानता और अधिकारों की बात करने वाला ये दिन हर महिला के लिए खास है, समाज के बीच आज भी संघर्ष करने वाली महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़नी होती है, आगे बढ़ने या आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सामाजिक रूढ़ियों और बंधनों को तोड़ना पड़ता है, आज हम आपको बता रहे हैं वीमन अवेयरनेस, संघर्षों और उनकी आजादी की कहानियां सुनातीं कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में जो सामाजिक व्यवस्थाओं और पुरुषवादी सोच पर कड़ा प्रहार करती हैं, समाज में एक बड़े बदलाव की दस्तक देती हैं…
International Women’s Day 2025 Special women Awareness Movies
International Women’s Day 2025: मध्य प्रदेश जल्द ही फिल्म सिटी बनने की ओर अग्रसर है। शूटिंग हब एमपी में कई फिल्मों की शूटिंग हुई है, खासतौर पर महिलाओं के संघर्ष और सफलता की कहानियां सुनातीं कई फिल्में यहां फिल्माई गई हैं। इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2025) पर हम आपको बताने जा रहे हैं, महिला अधिकारों, स्वतंत्रता और सुरक्षा की बात करतीं ऐसी ही मोटिवेशनल फिल्में जो समाज की दशा-दिशा पर कड़ा प्रहार तो करती ही हैं, साथ ही ये भी सिखाती हैं कि जरूरत पड़ने पर अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी पड़े तो लड़ो, हालात से समझौता कर अपने जीवन को नर्क बनाने से बेहतर है कि गलत के खिलाफ आवाज उठाओ, समाज को बदलने की जिम्मेदारी तुम्हारी है, तुम जागरूक होकर आगे बढ़ोगी तो समाज को बदलना ही पड़ेगा… यहां जानें महिलाओं के संघर्षों और सफलता के साथ ही उसके अधिकारों और स्वतंत्रता की कहानी दिखातीं फिल्में
यह एक एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म है, जो मध्य प्रदेश के चंदेरी में शूट की गई है। यह फिल्म स्त्री (2018) का सीक्वल है और महिलाओं की शक्ति, सम्मान और सामाजिक स्थिति को दर्शाती है। एक महिला की आत्मा पुरुषों को रात में उठाकर ले जाती है और न्याय पाने के लिए संघर्ष करती है।
लापता लेडीज (2024)
किरण राव द्वारा निर्देशित यह फिल्म दो युवा दुल्हनों की कहानी है, जो ट्रेन यात्रा के दौरान अपने पतियों से बिछड़ जाती हैं। फिल्म की शूटिंग मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के महोदिया गांव में की गई है। यह फिल्म महिलाओं की स्वतंत्रता, पहचान और आत्मनिर्भरता पर जोर देती है। पतियों से बिछड़ने के बाद खुद को खोजने की कोशिश करतीं दो दुल्हनों की लाइफ के स्ट्रगल की कहानी बताती है कि महिलाएं किसी की पत्नी, बेटी नहीं होतीं, उनकी खुद की भी कुछ पहचान होती है। किसी भी मुश्किल दौर में घबराने के बजाय खुद पर भरोसा करना सिखाती है। सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने और अपने फैसले खुद लेने का पाठ पढ़ाती है। वहीं इस फिल्म का एक संदेश ये भी है कि महिलाएं अगर शिक्षित जागरूक होंगी तो वो अपने अधिकारों को बेहतर तरीके से समझेंगी।
मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी (2019)
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित इस फिल्म में कंगना रनौत ने मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म की शूटिंग मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थानों, जैसे महेश्वर और भेड़ाघाट में की गई है। स्वतंत्रता, साहस और महिला नेतृत्व की कहानी बयां करती ये फिल्म रानी लक्ष्मी बाई के वीरतापूर्ण जीवन को दर्शाती है। हर महिला को आत्मनिर्भर और निडर बनाने के साथ ही आत्मसम्मान की रक्षा करने की प्रेरणा देती है। झांसी की रानी की गौरवगाथा सुनाती ये फिल्म सिखाती है कि महिलाएं चाहें जहां हों, वो हर क्षेत्र में नेतृत्व कर सकती है। समाज को बदलने की ताकत रखती हैं।
टॉयलेट एक प्रेम कथा (2017)
अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर स्टारर ये फिल्म एमपी के महेश्वर और सीहोर के साथ ही एमपी की कई खूबसूरत लोकेशन्स पर शूट की गई हैं। ये फिल्म यह सिखाने में कामयाब नजर आती है कि महिलाओं को अपने स्वाभिमान को बचाए रखने के लिए कतई समझौता नहीं करना चाहिए। अपने बुनियादी अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए। जैसे भूमि पेडनेकर ने उठाई और हालात से समझौता करने के बजाए पति और समाज से लड़ती रही। इस फिल्म में स्पष्ट दिखाया गया है कि कैसे एक पुरुष महिलाओं की समस्या को छोटा समझता है, लेकिन जब उसकी सोच बदलती है तो समाज बदलता है। महिलाओं के लिए शौचालय की उसकी मुहिम रंग लाती है और घर-घर शौचालय का ट्रेंड चल पड़़ता है।
लिपस्टिक अंडर माय बुर्का (2016)
एक भारतीय हिंदी-भाषा की ब्लैक कॉमेडी फिल्म है, जिसका निर्देशन अलंकृता श्रीवास्तव ने किया है। यह फिल्म चार महिलाओं की गुप्त इच्छाओं और स्वतंत्रता की खोज की कहानी है, जो एक छोटे से शहर भोपाल में रहती हैं। फिल्म की प्रमुख अभिनेत्रियाँ रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा, आहाना कुमरा और प्लबिता बोरठाकुर हैं।
फिल्म की कहानी इन्हीं चार महिलाओं के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है-
उषा ‘बुआजी’ परमार: 55 वर्षीय विधवा, जो अपनी उम्र और सामाजिक मान्यताओं के बावजूद अपनी यौन इच्छाओं को पुनः खोजती है।
शिरीन असलम: तीन बच्चों की मां, जो एक गुप्त सेल्सवुमन के रूप में काम करती है, जबकि उसका पति उसकी महत्वाकांक्षाओं को नजरअंदाज करता रहता है।
रिहाना आबिदी: कॉलेज की छात्रा, जो अपने ट्रेडिशनल परिवार से छुपकर पॉप सिंगर बनने का सपना देखती है।
लीला: एक यंग ब्यूटीशियन, जो अपने प्रेमी के साथ सिर्फ इसलिए भाग जाती है कि उसे अपनी छोटे शहर की जिंदगी से निकलना था।
इन सभी कहानियों में, महिलाएं सामाजिक और पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपनी इच्छाओं और सपनों को पूरा करने की कोशिश करती हैं। फिल्म की शूटिंग मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में की गई है। चौक बाजार, कोहेफिज़ा और बिट्टन मार्केट जैसी लोकेशन पर शूट हुई इस फिल्म छोटे शहर के माहौल को एकदम जीवंत रूप से प्रस्तुत किया है।
लिपस्टिक अंडर माय बुर्का समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता, इच्छाओं और सपनों को दर्शाती है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे पारंपरिक और पितृ सत्तात्मक समाज में महिलाएं अपनी पहचान और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती हैं। फिल्म यह संदेश देती है कि महिलाओं की इच्छाएं और सपने भी महत्वपूर्ण हैं और उन्हें भी अपने जीवन में स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है। बता दें कि फिल्म ने अपने साहसिक विषय और उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते हैं, तो काफी तारीफ भी बटोरी। यह फिल्म समाज में महिलाओं की स्थिति पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
देवकी (2005)
यह फिल्म एक ग्रामीण महिला की कहानी है, जिसे सामाजिक अन्याय और अत्याचार का सामना करना पड़ता है। फिल्म की कहानी मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुई एक वास्तविक घटना पर आधारित है। महिला सशक्तिकरण और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई की कहानी सुनाती ये फिल्म ग्रामीण भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्याय को उजागर करती है। ये फिल्म भी सिखाती है कि महिलाओं को अपने अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ना चाहिए। साथ ही ये भी कि न्याय की लड़ाई में धैर्य और हिम्मत जरूरी होती है।
मातृभूमि: ए नेशन विदाउट वीमेन (2003)
यह फिल्म एक ऐसे समाज की कल्पना करती है जहां, महिलाओं की कमी के कारण सामाजिक असंतुलन पैदा होता है। फिल्म की शूटिंग मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रेनाई गांव में की गई है। लिंग भेद के खतरनाक परिणाम बताती ये फिल्म समाज को आईना दिखाती है कि महिलाओं की संख्या गर कम हो जाए तो कितने गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ये फिल्म सिखाती है कि लड़कों और लड़कियों को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। अब महिला सुरक्षा और उसके अधिकारों के लिए सामाजिक सोच बदलनी जरूरी है।
महारानी वेबसीरीज
महारानी वेबसीरीज एक पॉलिटिकल ड्रामा होने के साथ ही महिलाओं की शक्ति को प्रदर्शित करती है। कैसे एक अनपढ़ गृहिणी जो घर से कभी अकेले बाहर नहीं निकली अचानक उसे राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ता है। भोपाल, होशंगाबाद (नर्मदापुरम) के साथ ही पचमढ़ी की वादियों में शूट की गई ये फिल्म, महिला नेतृत्व की सफल कहानी बुनती है। कठिन परिस्थितियों और भारी विरोध के बावजूद खुद को स्थापित करने, मान-सम्मान की रक्षा करते हुए कैसे लैंगिक भेदभाव रूढ़िवादिता से खुद को बाहर लाने के लिए नारी संघर्षरत है। ईमानदारी के साथ ही उसकी शिक्षा और सोच-समझकर लिए गए निर्णय उसमें स्वयं और समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
ये केवल वे फिल्में हैं जो मध्य प्रदेश में फिल्माई गई हैं, इनसे इतर आप पिंजर, मदर इंडिया, थप्पड़,पिंक, हालिया आई फिल्म मिसेस के नाम भी इस लिस्ट में शामिल कर सकते हैं।