इनमें सबसे अहम भोपाल-इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के गठन से जुड़ा है। इसके लिए तैयार एक्ट के प्रस्ताव पर चर्चा होगी। मंजूरी के बाद इसे मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। कानून बनते ही मप्र के पहले मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र भोपाल और इंदौर के विकास की आधारशिला दिल्ली, मुंबई जैसे मुख्य महानगरों की तरह रखनी शुरू होगी। दोनों के बीच इकोनॉमिक कॉरिडोर विकसित होगा। ओंकारेश्वर में 2200 करोड़ रुपए के अद्वैत धाम के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी जाएगी। जनकल्याण के कई फैसले लिए जा सकते हैं।
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प्रदेश के विकास का विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। इस पर कई दौर की चर्चा हो चुकी है। कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव, एसीएस, पीएस और सचिवों के बीच विजन डॉक्यूमेंट पर चर्चा भी होनी है।
इसलिए तीन बड़े राजसी फैसले
● देवी अहिल्या ने जनकल्याण के कई अहम काम किए। सरकार भी भोपाल-इंदौर को विकास के हब के रूप में विकसित करना चाहती है, ताकि उद्योग,रोजगार, परिवहन के साधन और इनसे जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास हो सके। ● ओंकारेश्वर प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र है। यहीं ज्योतिर्लिंग है और आदि गुरु शंकराचार्य का स्थान भी। यह वैश्विक पटल पर पहचान बना चुका है। अहिल्या ने अपने शासन में धार्मिक स्थलों का सबसे अच्छा संरक्षण किया। सरकार ओंकारेश्वर अद्वैत धाम को मंजूरी देने जा रही है।
● मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई जा रही है। जिनके पास भवन नहीं या छोटे पड़ रहे हैं, उनके लिए नए भवन स्वीकृत होंगे। मेडिकल कॉलेज व अस्पताल सीधे जनता से जुड़े होते हैं, इसलिए मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों के उन्नयन से जुड़े प्रस्ताव लाए जा रहे हैं।
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20 मई को लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर की जन्म जयंती और विवाह वर्षगांठ है। मल्हार राव होलकर की पुण्यतिथि भी है। तीनों तिथियां अहम हैं। सरकार सुशासन की प्रतीक देवी अहिल्या को याद करना चाहती है। राजबाड़ा का निर्माण मल्हार राव ने शुरू कराया, जिसे अहिल्या बाई ने पूरा कराया। सुशासन, स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता और महिला कल्याण की मिसाल देवी अहिल्या का 300वीं जयंती वर्ष मनाया जा रहा है।
ऐसी 37 बैठक और
राजबाड़ा की कैबिनेट मोहन सरकार की तीसरी डेस्टिनेशन कैबिनेट है। पहली रानी दुर्गावती के सिंग्रामपुर, दूसरी महेश्वर में हो चुकी। मोहन सरकार में 37 और डेस्टिनेशन कैबिनेट होनी हैं। अगली कैबिनेट पचमढ़ी में 3 जून को प्रस्तावित है। इनका मकसद ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यटन महत्त्व के स्थलों पर जाकर उनकी समझ बढ़ाना और चर्चा में लाना है।