लाड़ली बहनों के लिए सबसे पहले मैक्सिको में शुरू की गई थी योजना
आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया में सबसे पहले मैक्सिकों में लाडली बहनों के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की योजना शुरू की गई थी, आज से 28 साल पहले, 1997 में। इस योजना की शुरुआत सेहत और शिक्षा में सुधार के माध्यम से गरीबी को खत्म करना था। इस योजना के तहत परिवार की मुखिया महिला के खाते में हर महीने 600 से 1500 मैक्सिको पेसो और भारतीय मुद्रा में 2,500 से 6,500 रुपए कैश डायरेक्ट ट्रांसफर किए जाते रहे। तब इस योजना को प्रोस्पेरा योजना के नाम से शुरू किया गया था। लेकिन वर्तमान में इस योजना का विस्तार करते हुए ना केवल इसका नाम बदलकर बेनेसार योजना रख दिया गया बल्कि इसमें परिवार की मुखिया महिला के साथ ही बुजुर्गों को भी शामिल किया गया।इस योजना की खासियत
इस योजना की खासियत ये है कि इसमें प्रतिमाह महिलाओं को मिलने वाली राशि के साथ ही गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए अतिरिक्त पोषण भत्ता भी दिया जाता है। इसकी पात्रता शर्त है नियमित स्वास्थ्य जांच और बच्चों में टीकाकरण अनिवार्य।
क्या दिखा असर
मैक्सिको की इस योजना से महिलाओं की स्थिति उनके परिवारों में मजबूत हुई, वहीं उनके निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित हुई। इस देश में 10 लाख से भी ज्यादा परिवार गरीबी रेखा से बाहर आए। सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा मिला।
ब्राजील में 21 साल पहले शुरू की गई थी ये स्कीम
महिलाओं के खातों में कैश ट्रांसफर करने की लाड़ली बहना योजना जैसी स्कीम भारत में नहीं सबसे पहले ब्राजील में शुरू की गई थी। ये योजना बोल्सा फैमिलिया के नाम से संचालित की जा रही है। हैरान करने वाली बात ये है कि ये योजना वहां 21 साल पहले अक्टूबर 2003 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य जहां महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध कर उन्हें गरीबी के दलदल से बाहर लाना था। महिला खाते में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की इस योजना पर विश्व बैंक, इंटरनेशनल लेबर ने स्टडीज की और योजना की जमकर तारीफ की। आज इस योजना को संचालित करने में खुद विश्व बैंक भी ब्राजील की मदद कर रहा है।बोल्सा फैमिलिया स्कीम की खासियत
ब्राजील की बोल्सा फैमिलिया स्कीम का लाभ देश की उन लाडली बहनों को दिया जाता है, जिनकी आय एक निर्धारित सीमा से कम है। इस योजना का लाभ परिवार की मुखिया महिला को ही दिया जाता है। इस योजना के तहत महिलाओं के खाते में हर महीने प्रति परिवार के हिसाब से 600 BRL यानी 8000 रुपए डायरेक्ट ट्रांसफर किए जाते हैं।लाड़ली बहना योजना से अलग कैसे
ये योजना लाड़ली बहना योजना से थोड़ी अलग है, ब्राजील में ये योजना लाडली बहनों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने से इतर एजुकेशन और टीकाकरण से जुड़ी है। इस योजना की पात्र महिलाएं केवल वही हैं, जिनके बच्चों की स्कूल में 85 फीसद उपस्थिति हो और उनका टीकाकरण भी कम्प्लीट हो।
इस योजना से क्या बदला
ब्राजील में लाड़ली बहनों के लिए शुरू की गई इस योजना से जहां गरीबी रेखा में जीने वाले परिवारों की संख्या कम हुई, वहीं बच्चों के नियमित स्कूल जाने से बाल श्रम में कमी भी आई।केन्या में लाडली बहनों को हर महीने मिलते हैं 2,150 रुपए
केन्या में भी लाडली बहनों के लिए शुरू की गई डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की योजना संचालित की जा रही है। यहां हंगर सेफ्टी नेट प्रोग्राम के नाम से ये योजना संचालित की जा रही है। सामाजिक सुरक्षा के लिए शुरू की गई इस योजना का लाभ भी परिवार की मुखिया महिला को ही दिया जाता है।क्या है खासियत
इस योजना की खासियत ये है कि इस योजना को केन्या सरकार विश्व बैंक के सहयोग से संचालित की या जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी और भुखमरी से प्रभावित परिवारों को नकद सहायता प्रदान करना। इस योजना के तहत केन्या सरकार और विश्व बैंक मिलकर लाडली बहनों के खातों में हर महीने 2,700 केन्याई शिलिंग, भारतीय मुद्रा में 2,150 रुपए डायरेक्ट ट्रांसफर किए जाते हैं। केन्या सरकार की ये योजना मुख्य रूप से देश के सबसे गरीब तथा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित इलाकों में किया जाता है।
दक्षिण अफ्रीका में हर महीने 2,400 रुपए
20 साल पहले लाडली बहनों के लिए दक्षिण अफ्रीका ने डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत लाडली बहनों को उनके बच्चे की देखरेख और शिक्षा के उद्देश्य से शुरू की गई थी। 1998 में शुरू की गई इस योजना का लाभ एक निश्चित आय वाले परिवारों में बच्चों की मां को दिया जाता है। चाइल्ड सपोर्ट ग्रांट नामक इस योजना के तहत प्रति बच्चे के हिसाब से 530 रैंड यानी 2,400 रुपए की सहायता हर महीने दी जाती है। यदि बच्चा अनाथ है तो जो परिवार उसका पालन-पोषण कर रहा है, उस परिवार के मुखिया के खाते में ये राशि डायरेक्ट ट्रांसफर की जाती है। वहीं अनाथ बच्चों के केस में यह राशि 240 रैंड यानी 1,080 रुपए प्रतिमाह है।जाम्बिया में लाडली बहनों को मिलते हैं 7,800 रुपए
जाम्बिया में लाडली बहनों के खाते में 7, 800 रुपए कैश डायरेक्ट ट्रांसफर किए जाते हैं। सपोर्टिंग जाम्बिया लाइवलीहुड्स महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई योजना है। इसके लिए जाम्बिया को भी विश्व बैंक से फंडिंग मिलती है। फर्क केवल इतना है कि इस योजना के तहत कामकाजी महिलाओं को अपना काम शुरू करने के लिए या किसी प्रशिक्षण के लिए एकमुश्त 2,500 जाम्बिया क्वचा यानी 7,800 रुपए की नकद राशि दी जाती है।इन विकसित देशों में भी लाखों लाडली बहनों को आर्थिक सहायता
अमरीका
अमरीका में कम आय वाली लाडली बहनों के लिए एक योजना संचालित की जाती है। टेम्परेरी असिस्टेंस फॉर नीडी फैमिलीज नामक इस योजना के तहत लाडली बहनों के खाते में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है।स्वीडन
स्वीडन में पैरेंटिंग लीव अलाउंस नामक स्कीम के तहत मातृत्व अवकाश के दौरान महिलाओं को नकद सहायता राशि दी जाती है।आस्ट्रेलिया
आस्ट्रेलिया में पैरेंटिंग पेमेंट योजना के नाम से महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है। सिंगल मदर्स के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत बच्चे के जन्म पर महिला के खाते में एक मुश्त कैश डायरेक्ट ट्रांसफर किया जाता है।यूके
यूके में भी सिंगल मदर्स को सरकार की ओर से विशेष सहायता राशि की योजना चलाई जा रही है। इस योजना का नाम है यूनिवर्सल क्रेडिट स्कीम। इस योजना के संचालन से महिलाओं के लिए अपने बच्चों का पालन-पोषण आसान हो गया है।कनाडा
चाइल्ड बेनिफिट योजना कनाडा की ऐसी योजना है जिसके तहत लाडली बहनों को उनके बच्चों के लालन-पालन के लिए उनके खातों में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है। इस योजना में सिंगल मदर्स को प्राथमिकता दी गई है।भारत में इन राज्यों में चलाई जा रही है लाडली बहना योजना
मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना महिलाओं के लिए शुरू की गई सबसे चर्चित योजना बनी। इस योजना के तहत एमपी में लाडली बहनों के खाते में हर महीने 1250 रुपए ट्रांसफर किए जाते हैं।कर्नाटक की गृहलक्ष्मी योजना
कर्नाटक में लाडली बहनों के लिए गृहलक्ष्मी योजना संचालित की जाती है। यहां हर महीने लाडली बहनों के खातों में हर महीने 2000 रुपए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है।बंगाल की लक्ष्मी भंडार योजना
भारत में सबसे पहले बंगाल में लाडली बहनों के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी योजना शुरू की गई थी। यहां 2003 से लक्ष्मी भंडार योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत महिलाओं के खाते में हर महीने 1000 रुपए कैश दिया जाता है।