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असल में भोपाल के विकास के लिए सोमवार को बुलाई बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव(CM Mohan Yadav) ने पहले दिए कई बिंदुओं के पालन प्रतिवेदन पर चर्चा की। तब उन्होंने भेल समेत अन्य जमीनों के उपयोग व भोपाल के विकास के लिए जरूरतों पर बात की। जिसमें मुख्य सचिव ने तथ्य रखे। इस पर सीएम ने कहा, सिर्फ भोपाल के विकास के लिए ही नहीं, बल्कि भेल के लिए भी ऐसे मॉडल तैयार किए जाएं, जो भेल को राजस्व दे सकें। यह पहल दोनों ओर से की जाए। भेल से जमीन लेने और भेल को दी खाली व अतिक्रमण युक्त जमीन का उपयोग करने से जुड़े मामलों पर सरकार मुख्य सचिव अनुराग जैन की निगरानी में आगे बढ़ेगी। बता दें कि पूर्व में कई बार भेल प्रबंधन जमीन देने से इंकार कर चुका है।
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● बढ़ती आबादी व विकास की जरूरत देखते हुए भोपाल को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनाना है लेकिन भोपाल के एक ओर वन क्षेत्र की बड़ी सीमा है, जिसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया है। इस ओर भोपाल के विकास को दिशा नहीं दी जा सकती।
● भोपाल झीलों की नगरी है, बड़ा तालाब रामसर साइट है। यह भोपाल की बड़ी सीमा को घेरता है। दूसरे तालाब व नदियां भी हैं, उन्हें प्रभावित नहीं किया जा सकता। ● भोपाल का बड़ा हिस्सा भेल को दी जमीन से लगा है, उक्त जमीन का बड़ा हिस्सा खाली है, जिसका उपयोग भोपाल व भेल के विकास के लिए किया जा सकता है।
● भोपाल से लगे बाकी जो क्षेत्र बचे हैं, उनमें लगातार विकास हो रहा है, आबादी बस रही है, उसे प्लानिंग में ले रहे हैं, लेकिन भोपाल के समग्र विकास के लिए वह पर्याप्त नहीं है।
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भेल से जमीन लेने के पहले ली जाने वाली जमीन के उपयोग का प्रस्ताव तैयार करें।
मेट्रो के कई पाइंट ऐसे स्थानों पर बनाएं है, जहां से लोगों के लिए मेट्रो का उपयोग करना आसान नहीं होगा, इसे उपयोगी बनाया जाए। काम में तेजी लाएं, जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई हो। बड़ा तालाब हमारी शान है, इसके साथ जरा भी छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, कोई भी नए निर्माण नहीं होने चाहिए।
भोपाल के शहरी सीमा की खाली जमीन की मैपिंग हो, विकास के लिए शत-प्रतिशत उपयोग करें।