बंद कर दी गई फाइल
मामले की जांच के लिए समिति की सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष दिव्या पाराशर, पूर्व निदेशक आइबी मिश्रा सहित अन्य लोगों को नोटिस भेजा गया था। जिसमें पिछले कई सालों का मरीजों के इलाज का रिकॉर्ड मंगाया गया। सरकारी अनुदान से बनी धर्मशाला में ठहरने वाले लोगों की जानकारी मंगाई गई। जिसकी जांच में ईओडब्ल्यू की टीम को गड़बड़ी नहीं मिली है। जिस आधार पर फाइल को बंद किया गया है। ये भी पढ़ें:
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शिकायती पत्र में लिखा गया था कि 140 रुपए की कैंसर की दवा को 11 हजार में बेचा गया। साथ ही अस्पताल में 7.5 करोड़ की कैंसर के इलाज की आधुनिक कोबाल्ट मशीन सरकारी खर्च पर लगाई गई। जिसके तहत 40% मरीजों को मुफ्त इलाज होना था, लेकिन नहीं हुआ। इसी के साथ दवाओं की खरीद- फरोख्त के लिए शैल कंपनियां बनाने और नियम विरूद्ध राजनीतिक पार्टी को 65 लाख अनुदान देने के आरोप लगे थे। जिनकी ईओडब्ल्यू द्वारा जांच की गई, लेकिन जांच में गड़बड़ियां नहीं मिली है।