आगर मालवा से हर वर्ष 3664 से अधिक मरीज एम्स आते हैं। रायसेन, विदिशा, नर्मदापुरम, सागर और रीवा में अस्पताल और मेडिकल कॉलेज हैं। फिर यहां से बहुत मरीज पहुंचते हैं। जबकि पंजीकरण कराने वालों में भोपाल के 12224 मरीज शामिल हैं। बढ़ जाता है मर्ज विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार अधिकतर मरीज बीच में ही उपचार बंद कर देते हैं। नतीजतन मर्ज जानलेवा हो जाता है। टियर 2 और 3 शहरों में संगठित कैंसर केयर सिस्टम नहीं है। इसलिए समय पर जांच नहीं होती और 30 न मरीज एडवांस स्टेज में पहुंच जाते हैं।
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एम्स के डॉक्टरों स्नोफलेक मॉडल विकसित किया है। इसमें एम्स जोधपुर और अन्य तीन संस्थाओं के डॉक्टरों हैं। इस मॉडल में शहर के बड़े अस्पताल से जिलों और ब्लॉक के अस्पतालों को जोड़ा जा रहा है। ताकि समय पर जांच हो सके।
मुंह के कैंसर मरीज ज्यादा
एम्स भोपाल के कैंसर विशेषज्ञ असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंकित जैन ने बताया कि भोपाल सहित अन्य जिलों से आने वाले 80 प्रतिशत पुरुष ओरल कैंसर और महिलाएं बेस्ट और अंडबीम कैंसर की मरीज होती हैं। गुटका और तंबाकू का सेवन अधिक करने से ज्यादातर पुरुष को मुंह में कैंसर होता है। जीवनशैली बदलने, बीड़ी पीने से होता है। कीटनाशक पदार्थों के संपर्क में आने के कारण महिलाओं में ओवरी कैंसर अधिक पाया जा रहा है।