भोपाल में जुटे 7 राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, लोकतंत्र मजबूत करने पर हुआ मंथन
Vidhansabha Speakers Meet Bhopal: मध्यप्रदेश विधान सभा में समिति बैठक 2025 का आयोजन किया गया। इस दौरान जनहित, योजनाओं की प्रगति और विभागीय कार्यों की समीक्षा की गई। राजधानी भोपाल में आयोजित विभिन्न समितियों की इस बैठक में राज्यों द्वारा संचालित योजनाओं, विभागीय कार्यों की समीक्षा के साथ ही भविष्य को लेकर दिशा-निर्देश भी तय किए गए।
MP Assembly Bhopal 7 States Assembly Speakers in Bhopal MP Speakers Meet July 2025(फोटो सोर्स: म.प्र.विस. पोर्टल)
Vidhansabha Speakers Meet Bhopal: राजधानी भोपाल में मध्यप्रदेश की सियासत सावन के पहले सोमवार को कुछ खास नजर आई। मौका था मध्य प्रदेश विधानसभा भवन में आयोजित की जा रही विधानसभा समितियों की बैठक का। बैठक में देश के 7 राज्यों की विधानसभा के अध्यक्ष मध्यप्रदेश पहुंचे। इस बैठक में विधानसभा की भूमिका, कार्यान्वयन, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मजबूती पर गंभीर चिंतन किया गया। मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों की विधान सभा के अध्यक्षों ने एक साथ कहा- ‘अब सिर्फ बातें नहीं, उन पर अमल जरूरी है।’
मध्य प्रदेश विधान सभा के लोकसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ( MP Assembly Speaker Narendra Singh Tomar) की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में लोकतंत्र की मजबूती पर बात की गई। इस संदर्भ में नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधानसभा समितियां लोकतंत्र की रीढ़ हैं। इनकी सिफारिशें केवल कागज में न रहें, इसके लिए ठोस कदम उठाने यानी ठोस क्रियान्वयन की आवश्यकता है। उन्होंने विधायी प्रणाली में पारदर्शिता, निगरानी और जवाबदेही पर जोर दिया।
विधान सभा समितियों की बैठक में हुआ चिंतन, दिए समाधान
1– मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इस दौरान उन्होंने विधानसभा समितियों की सिफारिशों के गंभीरता से क्रियान्वयन को आवश्यक बताया, वहीं विधायी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को महत्वपूर्ण माना।
2–उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता, कई बार विधायक रहे सतीश महाना ने डिजिटल विधानसभा प्रणाली को मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विधानसभा में ई-गवर्नेंस और डिजिटलीकरण का वक्त की जरूरत है। डिजिटल प्लेटफॉर्म से समिति की कार्यवाही, उसकी मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी।
3–हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष विधायी संरचना पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं पर्वतीय राज्यों से जुड़ीं समितियों पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है। पर्वतीय क्षेत्रों की विशिष्ट समस्याओं को विधानसभा के मंच पर लाने की बेहद जरूरत है।
4– राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने शिक्षा, युवाओं से जुड़े विधायी प्रस्तावों को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने विधानसभा समितियों की स्थानीय स्तर तक पहुंच बनाने और बढ़ाने की सिफारिश की।
5–बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमल बनर्जी ने समिति रिपोर्टों पर तत्काल क्रियान्वयन की समय सीमा तय करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि समितियों की रिपोर्ट पर कार्यवाही और समयसीमा निर्धारित की जानी चाहिए। क्षेत्रीय मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में लाने के लिए साझा संवाद का सुझाव भी दिया।
6– ओडिशा राजनीति में एक मजबूत पहचान रखने वाली और महिला नेतृत्व के लिए जानी जाने वाली ओडिशा विधानसभा की अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने महिला एवं बाल कल्याण को लेकर विशेष समितियां बनाए जानें की मांग की। उन्होंने कहा कि सशक्त समितियां ही सशक्त लोकतंत्र की नींव हैं।
7– सिक्किम विधान सभा के अध्यक्ष मिंगमा नोरबू शेरपा ने सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा और बुनियादी जरूरतों के साथ ही बुनियादी सुविधाओं को लेकर समिति बनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छोटे राज्यों की आवाज भी राष्ट्रीय स्तर पर सुनवाई दे, इसके लिए सहयोग जरूरी है।
किन राज्यों ने लिया बैठक में भाग
राज्य और विधान सभा अध्यक्ष
मध्यप्रदेश – नरेंद्र सिंह तोमर उत्तर प्रदेश – सतीश महाना राजस्थान – वासुदेव देवनानी हिमाचल प्रदेश- कुलदीप सिंह पठानिया पश्चिमी बंगाल– बिमल बनर्जी ओडिशा- सुरमा पाढ़ी सिक्किम- मिंगमा नोरबू शेरपा
भोपाल में आयोजित विधानसभा समितियों की यह बैठक एक औपचारिकता नहीं बल्कि, भविष्य की विधायी दिशा तय करने वाला कदम रही। सात राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों ने जो चिंताएं और समाधान रखे, उनसे साफ है कि अब लोकतंत्र केवल चुनाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसमें जवाबदेही, पारदर्शिता और समावेशिता के रास्ते पर चलना होगा, मजबूती से आगे बढ़ना होगा, ताकि भारत जैसे लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक देश के असल मायने सामने आ सकें।