बाघ के कुख्यात शिकारियों के पकड़े जाने के बाद तस्करी के मामले सामने आए। अब तक टाइगर के शिकार के पीछे बाल और इसकी मूंछ को कारण बताया जाता था। अब बोन ग्लो की तस्करी की बात भी सामने आई। तेजी से पनप रहे कारोबार ने शिकारियों के गिरोह को सक्रिय कर दिया, जिससे टाइगर की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। गौरतलब है कि बीते दो सालों में राजधानी और आसपास के जिलों में आठ टाइगर की मौत हो चुकी है।
क्या है बोन ग्लो
टाइगर बोन ग्लू बाघों की हड्डियों से बनाया जाता है। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। चीन, वियतनाम और दक्षिण-पूर्व एशिया में इसकी बहुत मांग है। जंगली बाघों से बने ग्लू को ज्यादा असरदार माना जाता है, इसलिए इसकी कीमत भी ज्यादा होती है।
विलुप्त होने का खतरा
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों और तेंदुओं के शिकार का मुख्य कारण ‘बोन ग्लू’ ही है। विदेशों में बाघों की संख्या में कमी आने के पीछे इसे मुख्य कारण बताया गया। शिकार के मामले बढ़े हैं। कुछ स्थान तो ऐसे हैं जहां बाघ दुर्लभ हो चले हैं। अधिकारियों ने कहा- जांच जारी, शिकारियों की सर्चिंग जारी जंगल के आसपास घुमक्कड़ प्रजातियों के डेरों की जांच की जा रही है। चार स्थानों को चिन्हित कर वहां लोगों के दस्तावेज़ चेक किए गए। कोई संदिग्ध नहीं मिला है। अलर्ट के बाद बाघ भ्रमण क्षेत्र में अलर्ट भी है।