परिवार को पसंद नहीं थी महिला की आदतें
यह मामला तब शुरू हुआ जब महिला ने ससुराल वालों द्वारा कपड़ों, सामाजिक मेलजोल और स्वतंत्रता पर लगाए प्रतिबंधों पर आपत्ति जताई। वह अपनी पसंद के कपड़े पहनती और देर रात की पार्टियों में जाना चाहती थी और उन पेय पदार्थों का सेवन करना चाहती थी जो पति व परिवार को पसंद नहीं थे। ये भी पढ़ें: तोड़े जाएंगे 11 बड़े बंगले, 12 होटल, 300 पक्के निर्माण ! दिए गए नोटिस, होगी कार्रवाई दोनों मामले हुए खारिज
हालांकि सुलह की सभी उम्मीदें खत्म होने के बाद महिला भोपाल में ही रह रही है, जबकि उसका पति पुणे चला गया। पारिवारिक न्यायालय की परामर्शदाता शैल अवस्थी के मुताबिक महिला ने शुरुआत में आइपीसी की धारा 498ए (दहेज उत्पीड़न) और धारा 125 सीआरपीसी (भरण-पोषण) के तहत मामले दर्ज कराए थे, हालांकि दोनों ही खारिज कर दिए गए।
आम हो चुके हैं इस तरह के मामले
बाद में, उसने वैवाहिक अधिकारों की मांग और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत अदालत का रुख किया, जबकि पति ने तलाक के लिए अर्जी दी। वहीं महिला का कहना है कि वह तलाक के लिए तभी राजी होगी जब उसे 50 लाख रुपए दिए जाएंगे। उसका दावा है कि वह बेरोजगार है, जबकि उसका पति कह रहा कि वह घर से काम कर रही है। पारिवारिक न्यायालय की परामर्शदाता शैल अवस्थी ने बताया, हम अक्सर देखते हैं कि वैवाहिक विवादों को निपटाने के लिए एक पक्ष पैसे की मांग करता है। राशि आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है, लेकिन ऐसी मांगें अब आम हो गई हैं।