एक बस स्टैंड को अत्याधुनिक सुविधाओं से विकसित करने पर 150 से 200 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए पीपीपी मोड (बीओटी) पर काम किया जा रहा है। रोडवेज ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले फेज़ में राज्य के आठ बस स्टैडों को शामिल गया है। इनका सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। गौरतलब है कि रोडवेज घाटे में चल रही है। रोडवेज के पास सौंदर्कीकरण के लिए फंड नहीं है। निगम हर महीने 90 करोड़ रुपए के नुकसान में हैं। वर्तमान हालात बस चलाने तक की नहीं है। लेकिन रोडवेज के पास करोड़ों की जमीनें हैं, जिन्हें कॉमर्शियल उपयोग कर सौन्दर्यीकरण के साथ आय बढ़ाई जा सकती है।
पहले फेज में यह आठ बस स्टैंड शामिल
पहले फेज में रोडवेज के बीकानेर, भरतपुर, अजमेर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़,
भीलवाड़ा, ब्यावर और बूंदी को शामिल किया है। इसके लिए सलाहकार कंपनी को नियुक्त कर लिया गया है, जो प्लान तैयार कर रही है। सरकार ने कुछ बस स्टैंडों को विकसित करने की बजट में घोषणा की थी। उनमें कोटा और दूदू भी थे, लेकिन पीपीपी मोड पर इन्हें विकसित करने पर वित्त विभाग ने आपत्ति लगाई है। विभाग ने पहले फिजिबिलिटी रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। बस स्टैडों को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि यहां यात्री ही नहीं, अन्य लोगों का भी आना-जाना बना रहे।
यह सुविधा करेंगे बहाल
रोडवेज बस स्टैंड पर रेस्टोरेंट, कैफे, एसी वेटिंग हॉल, एटीएम, सुलभ शौचालय सहित ठहरनेे की सुविधा भी मिलेगी। मॉल में जो सुविधाएं होती हैं, वे भी दी जाएंगी। बस स्टैंड पर चार मंजिला बिल्डिंग बनाने के साथ ही अन्य सुविधाएं रहेंगी। बस स्टैंड को हैरिटेज लुक और स्थानीय संस्कृति के आधार पर विकसित किया जाएगा।
वर्तमान में हाल-बेहाल
बीकानेर केन्द्रीय रोडवेज बस स्टैंड वर्तमान में खस्ताहाल है। टीनशेड, प्लेटफार्म क्षतिग्रस्त हैं। पूरे परिसर में डामर की सड़क केवल नाम की है। गड्ढे बने हुए हैं। दीवार क्षतिग्रस्त है। झाड़-झंखाड़ उगे हुए हैं। एक शुलभ शौचालय है। एक मूत्रालय है, जो क्षतिग्रस्त है और गंदगी पसरी हुई है। साफ-सफाई का अभाव है। रात के समय बस स्टैंड में अंधेरा रहता है।