दरअसल, पूर्ण बहुमत नहीं होने और टीडीपी, जेडीयू जैसे दलों के समर्थन के चलते मोदी सरकार-3 को लेकर कई तरह की आशंका लगाई जा रहीं थी। प्रधानमंत्री मोदी ने छमाही में तमाम आशंकाओं को खारिज कर जोरदार वापसी कर ली। सियासी पिच पर महाराष्ट्र व हरियाणा जैसे राज्यों में भाजपा की जीत दर्ज कर अपने हौंसले को बढ़ा लिया है। सरकार की रफ्तार भी अब तेज होती जा रही है। मणिपुर हिंसा और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को अभी भी कड़े कदम उठाने की दरकार बनी हुई है।
मोदी सरकार के बड़े फैसले-
1. वन नेशन, वन इलेक्शन : इस पर सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से बात की। इनमें से 32 ने वन नेशन, वन इलेक्शन का समर्थन किया। जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं। वहीं 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था। इसको लेकर जल्द ही संसद में विधेयक लाया जा सकता है। 2. इंटर्नशिप योजना: 1.25 लाख युवाओं को 5,000 रुपए प्रति माह स्टाइपेंड देने की घोषणा। फिलहाल रजिस्ट्रेशन पूर्ण, लेकिन लॉन्चिंग होना बाकी है। 3. वरिष्ठ नागरिकों का मुफ्त इलाज : केंद्र सरकार ने 11 सितंबर को 70 वर्ष से ऊपर के सभी वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया।
4. महिलाओं के लिए तीन लाख करोड़ : महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए केन्द्रीय बजट में तीन लाख करोड़ रुपए आवंटित किए। इनमें लखपति दीदी अहम योजना है।
यहां कदम खींचे पीछे
पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं होने के चलते सहयोगी दलों के दबाव में कुछ फैसलों पर सरकार को अपने कदम पीछे भी लेने पड़े हैं। 1. वक्फ एक्ट संशोधन अधिनियम: संसद में पेश करने पर इस पर खासा हल्ला मचा, जिसके चलते इसे जेपीसी को भेजा गया। 2. लेटरल एंट्री: लोकसेवा आयोग की ओर से 45 पदों पर लेटरल एंट्री पर विपक्ष के साथ सहयोगी दल एलजेपी ने सवाल उठाए तो सरकार ने इसे वापस लिया।