शाहिल का यह प्रोजेक्ट राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक दीपक जोशी के मार्गदर्शन में तैयार हुआ है और इसका चयन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी के लिए हो चुका है।
’यह मॉडल सिर्फ नवाचार नहीं, सामाजिक सरोकार की मिसाल है। मेहनतकश मजदूरों की पीड़ा को विज्ञान के माध्यम से कम करना एक बड़ा मानवीय योगदान है।’ -दीपक जोशी, शिक्षक पत्रिका व्यू
भारत में हर साल लाखों मजदूर निर्माण कार्यों में हिस्सा लेते हैं, लेकिन रक्षात्मक उपकरण और सेफ्टी सॉल्यूशंस की भारी कमी होती है। ऐसे में शाहिल का मॉडल एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस तरह का नवाचार यह साबित करता है कि ’’साइंस सिर्फ स्पेस और रॉकेट तक सीमित नहीं है, यह ज़मीन पर चल रही जिंदगी को बेहतर बनाने का सबसे बड़ा ज़रिया भी हो सकता है।’’ शाहिल जैसे छात्र न केवल तकनीक समझ रहे हैं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों की ज़रूरतों को भी वैज्ञानिक दृष्टि से देख रहे हैं, यह काबिलेतारीफ है।