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जहाज नहीं, हवेली है! टाइटैनिक जैसी दिखती है राजस्थान की ये शानदार इमारत; जानिए इससे जुड़ी रोचक कहानी

Rampuria Haveli Story: बीकानेर शहर अपनी खूबसूरती, राजपुताना सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक किलों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

बीकानेरMar 22, 2025 / 02:52 pm

Alfiya Khan

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बीकानेर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह शहर अपनी खूबसूरती, राजपुताना सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक किलों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। स्थापत्य कला के कारण मशहूर बीकानेर को हजार हवेलियों का शहर भी कहा जाता है।
सभी हवेलियों की अपनी विशेषताएं हैं, अपनी गाथाएं हैं, अपनी कहानियां है लेकिन इन हजार हवेलियों में सबसे ऊपर नाम आता है रामपुरिया हवेली का जो देखने पर टाइटैनिक जहाज जैसी नजर आती है। अपनी खास पहचान के कारण देश और विदेश से पर्यटक रामपुरिया हवेली को देखने के लिए आते हैं। हवेलियों की जान पत्थर पर नक्काशीदार काम है, जो इन्हें हेरिटेज लुक देता है।

कब हुआ निर्माण

संस्कृति मंत्रालय के सीनियर फैलो डॉ. रीतेश व्यास बताते है कि इसका निर्माण सन् 1933 में हजारीमल शिखरचंद रामपुरिया ने करवाया था। तीन ओर से खुली इस हवेली के बाहरी चेहरे पर एक निगाह डालने पर यह टाइटैनिक जहाज के जैसी दिखाई देती है। लाल बलुआ पत्थरों में बनी ये हवेलियां बीकानेर की ऐतिहासिक संरचनाओं में एक जीवंत रूप मानी जाती है।
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पत्थर पर लयदार जाली का एहसास कराती पतली नक्काशी

बीकानेर घूमने आए लोगों के बीच में ये काफी खास माना जाती है। यहां पर आए देशी-विदेशी पर्यटक इस हवेली को अपने कैमरे में कैद करना ज्यादा पसंद करते हैं। इनकी वास्तुकला की अगर बात करें तो भारतीय शैली में बने छज्जे खूबसूरती में चार चांद लगाते है, पत्थर पर लयदार जाली का आभास कराती पतली नक्काशी पहले मध्य एशिया की कलाकृति की देन थी लेकिन आज के दिन में ये भारतीय वास्तुकला का हिस्सा बन गई है।
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क्यों कहते हैं टाइटैनिक जहाज जैसा

संस्कृति मंत्रालय के सीनियर फैलो डॉ. रीतेश ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा भाप से चलने वाला जहाज टाइटैनिक साउथम्पटन था। जो 14 अप्रैल 1912 को साउथम्पटन (इग्लैण्ड) में समुद्र में बर्फ की चट्टान से टकराकर डूब गया था। जिसमें 1517 यात्रियों की मौत हो गई थी। इस घटना के कुछ वर्ष बाद ही इस हवेली का निर्माण हुआ था। यह हवेली ब्रिटिश तथा स्थानीय शैली को प्रदर्शित करती है।
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सूरज की रोशनी के हिसाब से रंग बदलती हैं हवेलियां

सूरज की रोशनी के हिसाब से ये हवेलियों की दीवारें भी अपने रंग में परिवर्तन करती रहती हैं। इसके स्तम्भों पर मार्बल के 1100 टुकड़ों का प्रयोग किया गया है, लेकिन उनमें कही भीं जोड़ नहीं दिखता। इसके अलावा इसमें अलग तरह के काँच व इरोटिक पेन्टिंग का भी बहुत अच्छा संग्रह है। हवेलियों के विशाल मेहराव जहां मुगल शैली की याद दिलाते हैं।

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