जानकारी के अनुसार, रत्ना साहू 25 वर्ष अपने पति गौरीशंकर साहू 32 वर्ष के साथ आवासपारा में परिवार के साथ ही बगल घर में रहते थे। रविवार को सुबह गौरीशंकर के माता-पिता खेत में काम करने चले गए। इसी दौरान घर पर गौरीशंकर और रत्ना के बीच किसी पारिवारिक बात को लेकर विवाद शुरू हो गया।
बात ऐसी बड़ी कि तैश में आकर गौरीशंकर ने पास रखे लोहे के तवे से रत्ना को मारना शुरू कर दिया। जैसे ही चोट उसके सिर पर लगी, लहूलुहान रत्नाकी सांस टूट गई। आरोपी ने स्वयं इसकी सूचना डॉयल-112 को दी और सकरी थाने में सरेंडर कर दिया। सकरी पुलिस घटना स्थल पहुंची और मृतका के परिजनों की उपस्थिति में पंचनामा कर शव को पीएम के लिए भेज दिया।
दो बेटियों के सिर से उठ गया ममता का आंचल
आरोपी की दो मासूम बेटियां है। इसमें एक 3 वर्ष की तृप्ति है तो वहीं दूसरी 2 माह की दुधमुंही बच्ची तृषा है। हत्या के बाद दोनों के सिर से ममता का आंचल उठ गया। इस घटना के बाद बच्चियां अपने दादा-दादी के पास हैं। दामाद पर अफेयरका लगाया आरोप
मृतका रत्ना के मौसेरे भाई नितेश साहू ने आरोप लगाया कि आरोपी गौरीशंकर का शादी के पहले ही किसी और लड़की से अफेयर चल रहा था, जो शादी के बाद भी जारी रहा। इसी बात को लेकर आए दिन पति-पत्नी में विवाद होता था। आरोपी पत्नी से मारपीट भी करता था। इससे परेशान होकर रत्ना ने 5 महीने पहले महिला थाने में पति के खिलाफ मारपीट और प्रताड़ित करने की शिकायत की थी।
काउंसलिंग के बाद दोनों में सुलह हो गया था। उस समय रत्ना गर्भवती थी, लिहाजा वो अपने मायके कड़ार चली गई थी। डिलीवरी के बाद फिर पति के पास आकर रहने लगी थी। मृतका की मां की मौत पहले ही हो चुकी है। पिता भी मानसिक रूप से कमजोर हैं। रत्ना कड़ार में मामा के यहां रहती थी। मामा ने ही रत्ना की शादी कराई थी।
पापा-मम्मी…हम तो सिर्फ प्यार चाहती थीं
मैं तृप्ति हूं, बस तीन साल की। और मेरी छोटी बहन तृषा, जिसे मम्मी अपनी छाती से लगाकर दूध पिलाया करती थीं, वो तो बस दो महीने की है। उसकी छट्ठी भी नहीं हुई है। अब मम्मी नहीं हैं। पापा ने उन्हें हमसे छीन लिया… हमेशा के लिए। मुझे ठीक से याद है, मम्मी की गोद कितनी गर्म और सुकून भरी थी। जब भी डर लगता था, उनके आंचल में छुप जाया करती थी। प्यार से मेरे बालों को सहलाते हुए वो कहती थीं, तृप्ति, मेरी राजकुमारी है तू। अब वो आवाज कहीं खो गई है। अब रात में जब नींद नहीं आएगी या डर लगेगा तो मुझे कौन प्यार की थपकी देगा। भूख लगने या रोने पर अब कौन है जो मां की तरह मेरी छोटी बहन तृषा को सीने से लगाएगा। कौन उसकी भूख का दर्द समझेगा।
तृषा तो बस रोती है, उसे नहीं पता कि क्या हुआ
तृषा तो बस रोती रहती है। उसे नहीं पता कि मां का मतलब क्या होता है। लेकिन वो उस नरम आंचल और गर्म सीने को ढूंढ़ती हैं जहां से दूध मिलता था, जहां उसकी सांसें मम्मी की धड़कनों से मेल खाती थीं। अब वो आवाज़ नहीं सुनाई देती। और मैं… मैं समझती हूं कि अब मम्मी कभी वापस नहीं आएंगी। पापा जेल में हैं। वो हमारे लिए क्या थे और क्या बन गए, ये मैं नहीं समझ पाती। बस इतना जानती हूं कि उन्होंने हमें मां से अलग कर दिया। दादी-दादी बूढ़े हो चुके हैं। कौन हमें स्कूल ले जाएगा। कौन बुखार में सिर सहलाएगा, और कहेगा कि सब ठीक हो जाएगा? हमारी ज़िन्दगी अब तस्वीरों में सिमटी मम्मी की मुस्कान और अधूरे लोरी गीतों में रह गई है। काश… कोई सुन पाता हमारे दिल की आवाज़, जो सिर्फ प्यार चाहती थीं, लेकिन मिला सिर्फ सूनापन। काश कोई समझ पाता, हम बोल नहीं सकते, पर हर आंसू एक कहानी कहता है, एक ऐसी पीड़ा जिसे शब्द भी बयां नहीं कर सकते।
पारिवारिक विवाद से नाराज पति ने पत्नी की
हत्या कर दी। पंचनामा कारवाई बाद शव का पीएम करा कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल दाखिल किया गया है। – प्रदीप आर्य, थाना प्रभारी सकरी।