डीईओ ने अपने सेवाकाल के कार्यों के संबंध में जांच समिति द्वारा लगाए गए वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को चुनौती दी थी। जस्टिस बीडी गुरु ने आदेश दिया है कि विचाराधीन आदेश वसूली आदेश नहीं है और याचिकाकर्ता से कोई वसूली नहीं की जा सकती।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में केंद्र सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन’ के अंतर्गत रायगढ़ जिला ग्रंथालय के सुधार और तकनीकी उन्नयन के लिए 87 लाख की राशि स्वीकृत की थी। इसमें 30 लाख रुपए तकनीकी उन्नयन के लिए थे। परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान याचिकाकर्ता जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे।
सेवानिवृत्ति के बाद कलेक्टर, रायगढ़ द्वारा एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। जांच रिपोर्ट में याचिकाकर्ता के कार्यकाल में तकनीकी उन्नयन के दौरान वित्तीय अनियमितता की बात समिति ने कही और अतिरिक्त भुगतान की वसूली तथा आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की।
कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया
इस रिपोर्ट के आधार पर 24 अप्रैल 2025 को वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी
रायगढ़ द्वारा आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ता को 15 दिनों के भीतर अतिरिक्त भुगतान, सिंघानिया ग्रुप एवं इंडस्ट्रीज द्वारा आपूर्ति की गई सामग्री की पावती प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। आदेश में उल्लेख किया गया कि वह व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी हैं क्योंकि वह वित्तीय और प्रशासनिक नियमों के उल्लंघन करने के दोषी हैं, अन्यथा उनके विरुद्ध दांडिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया है कि यह संपूर्ण प्रक्रिया सेवानिवृत्त अधिकारी को बिना किसी विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रताड़ित करने की मंशा से की गई थी। सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने यह उल्लेख किया है कि याचिकाकर्ता से कोई वसूली नहीं की जा रही है। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया।