बिल्हा और तखतपुर ब्लॉक की स्थिति बेहद चिंताजनक है, जहां भूजल दोहन तेजी से बढ़ रहा है। जल जीवन मिशन के तहत बिल्हा के किरारी और गोड़ही में कराए गए बोरिंग असफल हो चुके हैं।
CG Water Supply: ग्रामीण परेशान…
तखतपुर में 30
बोरिंग असफल होने से बेलटुकरी, भाड़म, चोरभट्ठी कला, ढनढन, गनियारी, कंचनपुर, काठाकोनी, केकरार, खैरी, परिया, खटोलिया, सांवाताला, सलैहा और सोनबंधा सहित कई गांव प्रभावित हैं। भूजल स्तर गिरने से बिल्हा में 170 और तखतपुर में 150 हैंडपंप पूरी तरह सूख गए हैं।
बिल्हा 89.17% भूजल दोहन के साथ क्रिटिकल जोन के करीब पहुंच गया है, जबकि तखतपुर 70.84% भूजल उपयोग के साथ सेमी-क्रिटिकल जोन में आ चुका है। यदि जल्द उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है।
निगम ने 50 करोड़ में केवल 5 तालाब ही संवारे
राज्य सरकार ने जल संरक्षण के लिए सरोवर धरोहर योजना चलाई थी,
नगर निगम सीमा में 126 तालाबों में से केवल 5 तालाबों को ही संवारा, जिसमें 50 करोड़ से अधिक राशि खर्च कर दी गई। लेकिन शेष तालाबों की स्थिति बदहाल है।
जल संकट के मुख्य कारण
आवश्यकता से अधिक भूजल दोहन धान जैसी जल-गहन फसलों की खेती तालाब, कुएं और अन्य जल स्रोतों की कमी जल संरचनाओं का अपर्याप्त निर्माण ट्यूबवेल की बढ़ती संया वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का अभाव ये उपाय जरूरी ग्रीष्मकाल: कम पानी वाली फसलें जैसे गेहूं व चना उगाने को बढ़ावा दिया जाए। धान की खेती पर नियंत्रण लगाया जाए। औद्योगिक जल उपयोग के लिए रिसाइक्लिंग अनिवार्य किया जाए।
नए तालाब, कुएं और डैम का निर्माण किया जाए। फसल सिंचाई में ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक को अपनाया जाए। गांवों में हैंडपंप और अन्य जल स्रोतों के पास वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण किया जाए।