जीवित बचे लोगों की काउंसलिंग अब मनोरोग विशेषज्ञ कर रहे हैं ताकि वे दोबारा ऐसा कदम न उठाएं। सिम्स के आंकड़ों के अनुसार,
आत्महत्या की कोशिश करने वालों में सबसे अधिक संख्या 15 से 32 साल के युवाओं की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उम्र में लोग भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील होते हैं और छोटे-छोटे तनाव भी आत्मघाती कदम उठाने का कारण बन सकते हैं। पढ़ाई का दबाव, बेरोजगारी, प्रेम-प्रसंग में असफलता, पारिवारिक कलह और आर्थिक समस्याएं प्रमुख वजहें मानी जा रही हैं।
सिम्स में हर दिन 5 से 6 मामले
सिम्स की रिपोर्ट बताती है कि औसतन हर दिन 5 से 6 लोग जहर खाकर अस्पताल पहुंचे। इनमें से कुछ मरीज़ों की हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। डॉक्टरों ने बताया कि आत्महत्या का प्रयास करने वाले अधिकांश लोग कीटनाशक, सल्फ़ास या अन्य ज़हरीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, जिससे इलाज में कठिनाई होती है। इसके लिए
सिम्स में ज़हर सेवन कर आने वाले मरीज़ों के इलाज के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी स्टाफ़ को दी गई है। यहाँ रिकवरी रेट 98 प्रतिशत तक है।
CG Suicide Case: जो ठीक हुए उनकी मनोरोग विशेषज्ञ कर रहे काउंसलिंग
केस- 1. कूलर में पानी भरने का विवाद, पत्नी ने की आत्महत्या पामगढ़ निवासी 28 वर्षीय महिला की अपने पति से कूलर में पानी भरने को लेकर कहासुनी हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि गीता ने ग़ुस्से में जहर खा लिया। परिजन उसे तुरंत सिम्स अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिवारवालों ने बताया कि दंपति के बीच अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते थे, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि यह लड़ाई उसकी जान ले लेगी।
केस- 2. प्रेमी की शादी हुई तो प्रेमिका ने दे दी जान जरहागांव की 17 वर्षीय किशोरी को अपने प्रेमी से गहरा लगाव था, लेकिन जब उसे पता चला कि प्रेमी की शादी किसी और से हो रही है, तो वह टूट गई। भावनात्मक आघात सहन न कर पाने के कारण उसने कीटनाशक पी लिया। घरवाले उसे उपचार के लिए सिम्स अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उपचार के दौरान
डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार वालों को इस रिश्ते की जानकारी नहीं थी, जिससे किशोरी अपनी तकलीफ़ किसी से साझा नहीं कर पाई।
केस- 3. रात में घूमने से रोका तो कर लिया सुसाइड बिल्हा निवासी 25 वर्षीय युवक देर रात घूमने का आदी था। होली के दिन जब परिजनों ने उसे देर रात घर से बाहर जाने से रोका, तो वह आक्रोशित हो गया और गुस्से में आकर जहरीला पदार्थ खा लिया। परिजन उसे सिम्स अस्पताल लेकर गए, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके। परिजनों का कहना है कि उन्होंने बेटे की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे बाहर जाने से मना किया था, लेकिन उन्हें यह अंदाज़ा नहीं था कि वह इतना बड़ा क़दम उठा लेगा।
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आत्महत्या की प्रवृत्ति पहला तो जेनेटिक होता है। दूसरा तनाव। 25 से कम उम्र के युवाओं में परीक्षा, कॅरियर और लव रिलेशनशिप का तनाव होता है। वहीं 25 से 40 वर्ष वालों में पति-पत्नी की लड़ाई, पारिवारिक परेशानी आत्महत्या के मुख्य कारण बनते हैं। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए। मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों को परामर्श और परिवार के सहयोग की जरूरत होती है। – डॉ. सतीश श्रीवास्तव, मनोरोग विशेषज्ञ
CG Suicide Case: इमोशनल इंटेलिजेंस जरूरी
बच्चों में पढ़ाई-लिखाई के अलावा इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी से ऐेसे केस आते हैं। बच्चों को तनाव, उदासी से कैसे निपटे इसकी जानकारी नहीं दी जाती। न इसके लिए कोशिश करते हैं। इसीलिए क्षणिक आवेश में ऐसी घटनाएं हो जाती है। – डॉ. अनिल यादव, मनोचिकित्सक