इसके बाद असंतोष के कारण कई पूर्व पार्षद और निर्दलीय मैदान में उतर गए, तो कुछ ने निर्दलियों का समर्थन कर दिया। इसके बाद से खुलाघात या भीतरघात के आरोप में 60 से ज्यादा कांग्रेसियों को निष्कासित कर दिया गया। आपसी खींचतान का असर भी चुनाव नतीजों पर दिख रहा है।
अभी भी कई रडार में
कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है कि जिसके खिलाफ भी भीतरघात या अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ काम करने की शिकायत मिलेगी, उसको प्रदेश पदाधिकारियों से मिले निर्देश के अनुसार तत्काल 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इससे अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ प्रसार प्रचार करने वाले अभी भी कार्रवाई के रडार में हैं। प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण, पूर्व शहर अध्यक्ष सीमा पाण्डेय समेत कई पुराने कांग्रेसियों के निष्कासन से भी यह संदेश गया है कि पार्टी विरोध की शिकायत मिलने पर किसी को बशा नहीं जाएगा।
दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के भी आरोप
निष्कासित पदाधिकारियों ने दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के भी आरोप लगाए है। अभय नारायण राय ने आरोप गलत बताते हुए प्रदेश कमेटी के समक्ष पक्ष रखा है। वहीं सीमा पांडे व कुछ के द्वारा भी सोमवार को पूर्व मंत्री टीएस सिंहदेव के यहां आगमन पर मुलाकात कर कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए शिकायत करने की जानकारी मिली है। त्रिलोक श्रीवास ने तो जिला अध्यक्ष पर व्यक्तिगत द्वेष की बात कहते हुए उनपर बसपा प्रत्याशी के समर्थन का भी आरोप लगा दिया है।
यह कहना है पदाधिकारियों का
कार्रवाई के संबंध में कांग्रेस के जिला व शहर अध्यक्ष विजय केशरवानी व विजय पांडे का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस की गाइड लाइन के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। पार्टी के स्पष्ट निर्देश हैं कि जिस भी नेता के खिलाफ पार्टी के विरोध में काम करने की शिकायत मिले, उनको निष्कासित करें। अगर कोई कांग्रेसी जिमेदार पद पर हैं तो पार्टी के प्रति उनको अपनी जिमेदारी भी समझनी पड़ेगी।