कोरबा के दर्री निवासी 27 वर्षीय सूरज हथेल को विभिन्न धाराओं में कोरबा पुलिस ने 20 जुलाई 2024 को हिरासत में लिया था। उसी दिन सुबह 5 बजे स्वास्थ्य खराब होने पर अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। परिजन ने पुलिस की मारपीट से मौत होने का आरोप लगाया। मृतक की मां प्रेमा हथेल ने
हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए आदेशों के अनुरूप मुआवजा देने की की मांग की।
कई चोट और फैक्चर
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह हिरासत में मृत्यु का मामला है। हालांकि न्यायिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, मृत्यु का कारण मायोकार्डियल संक्रमण कारण बताया गया है, क्योंकि वह कोरोनरी धमनियों की बीमारी से पीड़ित था। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसके शरीर में कई चोट और फैक्चर पाए गए। मृतक के शरीर की तस्वीरें स्पष्ट रूप से कई गंभीर चोटों को प्रकट करती हैं। पुलिस या जेल अफसरों का यह आचरण निंदनीय
तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर चीफ जस्टिस की डीबी ने पाया कि बंदी की पिटाई से मृत्यु हुई है। यह स्थापित कानून है कि सार्वजनिक कानून के क्षेत्र में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजा दिया जा सकता है। तथ्य और कानून की स्थिति के अनुसार, हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि याचिकाकर्ता, जो मृतक सूरज हथेल की मां है, अपने बेटे की गलत तरीके से हुई हानि के लिए मुआवजे की हकदार है।