हाडोती के पुष्कर के नाम से प्रसिद्ध केशव धाम का विकास अब तक नहीं हो पाया है। मंदिर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृत पैसा भी खर्च नहीं हो पा रहा है। भगवान का मंदिर नेताओं की रहमों करम पर निर्भर है लेकिन राजनेता अपनी मनोकामना को लेकर ही यहां आते हैं। मंदिर को देखकर आश्वासन देकर चले जाते हैं। योजनाएं कागजों में बनकर वहीं दफन हो जाती है। यहां के सामाजिक, राजनीतिक संगठन केवल उपखंड मुख्यालय तक ज्ञापन देने के बाद अपने काम को विराम दे देते हैं।
चंबल नदी किनारे स्थित पौराणिक केशव धाम कार्तिक मास में चर्मण्यवती पर स्नान कर दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा में तो यहां पर एक लाख से अधिक लोग दर्शन करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु 20 पौराणिक धाम की कलाकृतियों के मुरीद है लेकिन अब वह लुप्तप्राय होकर जीर्ण-शीर्ण हो गई।