हाड़ौती क्षेत्र की चंबल की खूबसूरत वादियों व बूंदी जिले के भीमलत व बरड़ वन क्षेत्र में लुप्त होते गिद्धों की कुछ प्रजातियां फिर दिखाई देने लगी है जिनमें उत्तरी चीन, मंगोलिया से आने वाले बड़े आकार वाला यूरेशियन काला गिद्ध भी शामिल है। इसके अलावा यहां इस साल हिमालयन ग्रिफान, इजिप्शियन व भारतीय गिद्ध भी बड़ी संख्या में दिखाई दिए है। स्पेन, दक्षिणी अफ्रीका व मध्य योरोप से भारत के दक्षिणी-पूर्वी राज्यों में शीतकालीन प्रवास पर आने वाले ब्लेक स्टोर्क पक्षी भी बूंदी के अभयपुरा बांध पर करीब एक माह तक जमे रहे थे। प्रवासी ब्लेक स्टोर्क, काला गिद्ध व ग्रेटर बीटर्न पक्षी बूंदी पहली बार दिखाई दिए है। इसके अलावा नोर्थन शोवलर, सुर्खाब, पोचार्ड, पेलिकन सहित 2 दर्जन से अधिक प्रजाति के प्रवासी पक्षी सर्दी के दिनों में यहां के जलाशयों पर जलक्रीड़ा करते देखे गए। हालांकि इस साल पक्षियों की संख्या कम रही। बूंदी में रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने के बाद से यहां का पर्यावरण तंत्र बेहतर हुआ है और इसका असर आने वाले समय में वन्यजीवों के साथ प्रवासी पक्षियों पर भी देखने को मिल सकता है।
साल भर आबाद
बूंदी जिले के सदाबहार जलाशयों में सर्दी की शुरूआत के साथ ही मेहमान परिंदों का कलरव सुनाई देने लगता है। बूंदी की सदाबहार प्राकृतिक आबोहवा से आकर्षित होकर सात समुंदर पार से आने वाले विदेशी परिंदों की चहचहाहट से वेटलेंड गूंजने लगते है। जिले के बूंदी-चित्तौड़ मार्ग स्थित रामनगर के छोटे तालाब वेट-लेंड पर हजारों प्रवासी पक्षी हर साल आते है। इस तालाब के बीच बने टापुओं पर दिनभर प्रवासी, अन्तरप्रवासी व स्थानीय पक्षियों की करीब 50 प्रजातियों की भी उपस्थिति देखी जाती है।
यहां सर्दियों में कुरजां पक्षी आकर्षण का केंद्र रहता है। जिले के प्रमुख वेट-लेंड बरधा सहित दो दर्जन बांधों व तालाबों पर प्रवासी व अन्तर प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचते है। इनमें चीन-मंगोलिया जैसे ठंडे प्रदेशों में बर्फबारी शुरू होने के साथ आने वाले बार- हेडेड गूज व ग्रे-लेग गूज भी शामिल है। योरोप महाद्वीप से आने वाले यूरोपियन पिनटेल व नोर्थन शोवलर भी बूंदी के अधिकांश जल-स्रोतों पर दस्तक देते है। इसी प्रकार गुजरात में कच्छ के रण से आने वाले अन्तरप्रवासी ग्रेटर-फ्लेमिंगो व जिले के बरधा बांध तक सिमटे सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
मछली व पेटाकाश्त के लालच में मेहमान परिंदों के प्रवास में खलल
जिले के सभी बांधों व तालाबों में मछली ठेका होने से पक्षियों के प्राकृतिक आश्रय-स्थल छिन से गए है। मछली ठेकेदार के कार्मिक मछलियों को पक्षियों से बचाने के लिए दिन भर बांध व तालाबों पर आतिशबाजी के धमाके कर पक्षियों की स्वच्छंदता में विघ्न पैदा करते है। पेलिकन पक्षी को तो मछली ठेकेदार देखते ही मारने दौड़ते है। विडम्बना ही है कि जिन जलाशयों पर परिंदों का अधिकार होना चाहिए। वहां पर चंद पैसों के लालच में मछली ठेके की आड़ में पक्षियों के प्राकृतिक आश्रय-स्थलों पर कब्जे कर लिए है। इसी प्रकार बांधों व तालाबों में अवैध पेटा-काश्त पर भी रोक नहीं लग पाना चिंता का विषय है। हिण्डोली के गुढ़ा बांध व तालेड़ा के बरधा में चोरी-छिपे पक्षियों का शिकार भी होता है।