केंटिन में खाना बनाने में जुटे कार्मिक ने बताया कि वह कई वर्षो से यहां खाना बना रहे है, लेकिन उन्होंने संवेदक को नहीं देखा है, उन्हें पगार सही समय पर मिल जाता है। इसके अलावा कौन आ रहा है कौन नहीं आ रहा इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है। वहीं बीते छह माह में मंडी सचिव या बाबू आदि कोई भी केंटिन में निरीक्षण में करने नहीं आया है।
योजना में पारदर्शिता, भोजन में गुणवत्ता व व्यवस्थाओं की समय समय पर जांच के लिए स्थायी कमेटी भी गठित है, जिसमें अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति, अध्यक्ष व्यापार मंडल व सचिव कृषि उपज मंडी समिति शामिल है।
तय मीनू के अनुसार ढाई सौ ग्राम आटे की आठ रोटिया भोजन थाली में दी जानी है। जबकि कैंटिन में दी जाने वाली आठ रोटियों का वजन एक सौ अस्सी से 200 के बीच ही आ रहा है। वहीं रोटियों की सिकाई इस तरह की जा रही है कि किसान पेट भरने से पहले ही थाली छोड़ कर चला जाता है। यहां भी संवेदक की ओर से किसानों को भरपेट भोजन नहीं दिया जा रहा है। मौके पर कोई शिकायत रजिस्टर भी नहीं है। ऐसे में कोई शिकायत भी नहीं कर पाता है।
किसानों द्वारा गुड़ मांगे जाने पर दिया जा रहा है। मीनू चार्ट लगाया जाएगा। कुछ रोटियां जल जाती है, लेकिन किसानों को नहीं देते है। सब्जियों की गुणवत्ता सही है। रोटियों का कभी वजन नहीं किया।
रमेश चंद, संवेदक कार्मिक
क्रांतिलाल, सचिव, कृषि उपज मंडी, कुंवारती, बूंदी