जानकारी अनुसार वर्षों से हिण्डोली पंचायत समिति के खाते में 175 बीघा भूमि चतरगंज कृषि फार्म के नाम आवंटन थी, जिसमें प्रतिवर्ष लाखों रुपए जुवारे के रूप में मिलते थे, जिससे पंचायत की निजी आय लगातार बढ़ने से यहां पर अपनी विकास कार्य भी होते रहते थे, लेकिन 3 वर्ष पूर्व पंचायत समिति की साधारण सभा में 175 बीघा भूमि को कृषि महाविद्यालय को स्थानांतरित कर दी।
उसकी एवज में पंचायत समिति के नाम अच्छी किस्म की भूमि आवंटन करनी थी, लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जल्दबाजी में बड़ागांव के निकट में मेज नदी के दरडे बरडे में भूमि आवंटित कर दी, जिसका भौतिक सत्यापन किया तो भूमि सही नहीं निकलने से पंचायत समिति की साधारण सभा बुलाकर नए स्थान पर भूमि दिलाने पर प्रस्ताव लिया गया। पंचायत समिति प्रधान की अध्यक्षता में कई बार बैठकें भी हुई। राजस्व अधिकारियों ने एक सप्ताह में भूमि आवंटित कर दिलाने का भरोसा दिलाया, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद मामला ढाक का तीन पात रहा, जिससे पंचायत समिति की निजी आय घट गई है।
राजस्व विभाग को तत्काल प्रभाव से पंचायत समिति 175 बीघा भूमि आवंटित करनी चाहिए। पुरानी भूमि का आवंटन को निरस्त करनी चाहिए।अन्यथा जनरल हाउस में प्रस्ताव लेकर आंदोलन की तैयारी होगी, जिसकी जिम्मेदार राजस्व विभाग के अधिकारियों की होगी।
चिरंजीव कुमावत, पंचायत समिति सदस्य।
चतरगंज कृषि फार्म पर 175 बीघा भूमि करोड़ों रुपए की लागत की थी,लेकिन कृषि महाविद्यालय के नाम कर दी। उसकी एवज में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने इतनी ही अच्छी भूमि देने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने मेज नदी के दरडे बरडे की भूमि आवंटन कर अपना पल्ला झाड़ लिया। अब राजस्व विभाग के अधिकारियों से लगातार नए स्थान पर भूमि आवंटित की मांग कर रहे हैं। सुनवाई नहीं हो रही है।
कृष्णा माहेश्वरी, प्रधान पंचायत समिति हिण्डोली।
पंचायत समिति को आर्थिक नुकसान
जब पंचायत समिति में बेश कीमती भूमि कृषि महाविद्यालय को दी। राजस्व विभाग तत्काल प्रभाव से उससे भी बढ़िया भूमि पंचायत समिति के नाम पर करना चाहिए था, लेकिन अधिकारियों ने सहयोग का रवैया सही नहीं है। पंचायत समिति को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा हैं।
राधेश्याम गुप्ता, सरपंच ग्राम पंचायत बड़ौदिया।