शहर के हिस्टोरियन होशंग हवलदार बताते हैं कि 1866 में बुरहानपुर स्टेशन पर पटरी डल गई थी और 1868 में गाडियों का स्टॉपेज मिल गया था। उसी समय 8 गाडिय़ों का स्टॉपेज मिल गया था, जिसमें पैसेंजर, पंजाब मेल, कलकत्ता, लाहोर एक्सप्रेस, कटनी भुसावल पेसेंजर, इटारसी भुसावल पैसेंजर और दो डाक (माल) गाड़ी थी, जिसके आधे डिब्बे यात्रियों के लिए भी हुआ करते थे। कुछ समय बाद ही दूसरी रेलवे लाइन भी डल गई थी।
कपास थी मुख्य उपज
बुरहानपुर में पहले कपास की बड़ी मंडी हुआ करती थी। कपास की गठानों की सप्लाय के लिए प्रमुख रूप से गाडियों का स्टॉपेज शुरू किया, ताकि उद्योग को बढ़ावा मिल सके। इसके बाद केले का भी सप्लाय हुआ। Monsoon 2025: मानसून को लेकर मौसम विभाग की बड़ी भविष्यवाणी, औसत से 110% अधिक होगी बारिश, देखें अपडेट">Monsoon 2025: मानसून को लेकर मौसम विभाग की बड़ी भविष्यवाणी, औसत से 110% अधिक होगी बारिश, देखें अपडेट
1866 में बनी तहसील
हवलदार बताते हैं कि 1814 में सिंधिया और इस्ट इंडिया कंपनी के बीच संधि हुई थी। जिसमें नाम सिंधिया का था, लेकिन शासन कंपनी का चलता था। इसके बाद खंडवा 1865 में जिला बना और बुरहानपुर तहसील 1866 में बनाई गई।