16 साल से कर रहे खेती
आदिवासी नेता अंतरसिंह बर्डे ने कहा कि हम 16 साल से वन भूमियों पर काबिज होकर खेती करते आ रहे है, लेकिन वन विभाग अब खेती करने से रोक रहा है। वन विभाग पट्ट नहीं होने की बात कह रहा है, लेकिन हमारे द्वारा ग्रामस्तरीय वनाधिकार समिति से लेकर जिलास्तरीय वनाधिकार समिति तक पट्टों के लिए आवेदन दिए गए थे जो विचाराधीन थे, लेकिन प्रशासन द्वारा सभी दावों को खारिज कर बेखदली की कार्रवाई की जा रही है। जिले के करीब 3 हजार किसानों को इस तरह से वन भूमियों से बेखदल किया जा रहा है, जिससे परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। भोपाल में करेंगे विरोध
आदिवासियों ने कहा शासन के नियमानुसार 2005 से पहले से काबिज लोगों को पट्टे देना है, लेकिन यहां 46 साल होने के बाद भी पट्टे नहीं मिल रहे हैं। अगर वन विभाग, प्रशासन जमीनों से बेदखली की कार्रवाई करेगा तो जिलास्तर से लेकर भोपाल तक चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। सरकार हमारी नहीं सुनेगी तो भोपाल में नेता प्रतिपक्ष, राज्यपाल से प्रतिनिधि मंडल मिलने जाएगा।
पूर्व मुयमंत्री ने भी धूलकोट में चुनाव के समय पट्टे देने की घोषणा की थी, लेकिन इसका अमल नहीं हुआ। इस दौरान तकलसिंह बामनिया, पवन कुमार बर्डे सहित आदिवासी नेता, पटेल सहित किसान मौजूद रहे। इस पर बुरहानपुर डीएफओ विद्या भूषण सिंह ने कहा वन भूमि पट्टों के लिए ग्रामस्तर, जिलास्तरीय वनाधिकार समिति आवेदनों की जांच करती है, उसके बाद पात्र, अपात्र किया जाता है। जिनके पास पट्ट नहीं है उन्हें हटाया जा रहा है।