नए नियमों का मकसद
CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, फेसलेस असेसमेंट प्रक्रिया में अब अटपटे और गैर-जरूरी सवालों से बचा जाएगा। अधिकारियों को ‘उचित सोच’ के साथ नोटिस तैयार करने और सवालों को परिस्थितियों के अनुसार विशिष्ट रखने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही, क्षेत्रीय अधिकारियों को अपने अधीनस्थों की निगरानी करने और हर महीने मूल्यांकन आदेशों की गुणवत्ता की समीक्षा करने के लिए कहा गया है।
क्यों लिया गया यह कदम?
यह कदम कर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। CBDT का लक्ष्य ईमानदार टैक्सपेयर्स को राहत देना और आयकर मूल्यांकन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है। नए नियमों के तहत, अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा भेजे गए नोटिस और सवाल टैक्सपेयर्स के रिटर्न से सीधे संबंधित हों।
टैक्सपेयर्स को मिलेगी सहूलियत
इस फैसले से उन करदाताओं को विशेष राहत मिलेगी, जो अक्सर आयकर विभाग के गैर-जरूरी सवालों और लंबी जांच प्रक्रिया से परेशान रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम करदाताओं का भरोसा बढ़ाएगा और आयकर प्रक्रिया को और अधिक करदाता-अनुकूल बनाएगा।
अन्य राहतें भी दी गईं
हाल ही में CBDT ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख को 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। इसके अलावा, पुराने रिटर्न में गलतियों को सुधारने के लिए समयसीमा को 24 महीने से बढ़ाकर 48 महीने कर दिया गया है।