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China की AI स्टार्टअप DeepSeek ने सिलिकॉन वैली में मचाई हलचल, भारत और दुनिया पर हो सकते हैं गहरे असर

DeepSeek AI: चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्टअप, DeepSeek, ने हाल ही में सिलिकॉन वैली में अपनी तेजी से बढ़ती उपस्थिति से टेक उद्योग को हैरान कर दिया है। DeepSeek के बढ़ते प्रभाव के चलते Nvidia, जो AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए प्रमुख चिप बनाने वाली कंपनी मानी जाती है। आइए जानते हैं इस खबर के बारे में विस्तार से।

भारतJan 28, 2025 / 01:29 pm

Ratan Gaurav

DeepSeek AI

DeepSeek AI

DeepSeek AI: चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्टअप DeepSeek ने हाल ही में सिलिकॉन वैली में अपने उभार से टेक उद्योग को चौंका दिया है। 2021 में हेज फंड मैनेजर लियांग वेनफेंग द्वारा स्थापित इस स्टार्टअप ने AI के क्षेत्र में अपनी सफलता का दावा करते हुए न केवल अमेरिकी कंपनियों को चुनौती दी, बल्कि वैश्विक बाजार में भी हलचल मचाई है। इसने Nvidia जैसी दिग्गज कंपनियों को संकट में डालते हुए भारत और अन्य देशों के लिए कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं।
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Nvidia का पतन और टेक स्टॉक्स पर प्रभाव (DeepSeek AI)

DeepSeek AI के बढ़ते प्रभाव के कारण Nvidia, जो AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए प्रमुख चिप बनाने वाली कंपनी है, को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। सोमवार को Nvidia के शेयरों में रिकॉर्ड गिरावट आई, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य लगभग 600 बिलियन डॉलर घट गया। यह गिरावट Nvidia के लिए अब तक की सबसे बड़ी एकल दिन की गिरावट साबित हुई। इसका असर केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि जापान के टोक्यो स्टॉक्स (DeepSeek AI) और हांगकांग के Hang Seng इंडेक्स पर भी देखने को मिला, जहां चीनी कंपनियों Tencent, Alibaba और Baidu ने शुरुआती लाभ दिखाया।

मार्केट रूट के कारण

DeepSeek AI के उभार के बाद, तीन मुख्य कारण सामने आए हैं जिनकी वजह से टेक स्टॉक्स में गिरावट आई।

AI मॉडल की कम लागत: DeepSeek ने एक ऐसा AI मॉडल विकसित किया है, जो ChatGPT और Meta के Llama जैसे अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों के समान परिणाम देता है, लेकिन इसे बनाने में काफी कम लागत आई है और इसमें कम चिप्स का इस्तेमाल किया गया है। इससे यह डर पैदा हुआ कि AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए जरूरी विशेषीकृत हार्डवेयर की मांग घट सकती है, जिससे Nvidia जैसी कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
चीन की बढ़ती ताकत: DeepSeek की सफलता ने यह दिखा दिया कि चीन AI के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिससे अमेरिका का प्रभुत्व अब पहले जैसा नहीं रहा। यह स्थिति कई पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गई है, खासकर जब अमेरिका ने चीन की AI प्रगति को धीमा करने के लिए उच्च तकनीकी चिप्स और मशीनों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
AI के आर्थिक ढांचे पर चुनौती: चीन के AI मॉडल्स की सफलता ने AI के आर्थिक ढांचे को चुनौती दी है। DeepSeek ने 2,000 दूसरे दर्जे के Nvidia चिप्स का उपयोग करके अपना मॉडल तैयार किया, जबकि Meta के Llama जैसे मॉडल्स को प्रशिक्षित करने में 15,000 उच्च गुणवत्ता वाले चिप्स की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि चीन में AI विकास सस्ता पड़ता है, जो पश्चिमी देशों के लिए समस्या बन सकता है।

DeepSeek का विकास और प्रतिक्रिया

DeepSeek की शुरुआत हेज फंड मैनेजर लियांग वेनफेंग ने की थी। पहले यह कंपनी स्टॉक प्राइस पैटर्न्स (DeepSeek AI) को पहचानने के लिए डेटा क्रंचिंग का उपयोग करती थी, लेकिन बाद में यह एक स्वतंत्र AI वेंचर में बदल गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अमेरिकी उद्योगों के लिए एक “वेक-अप कॉल” के रूप में स्वीकार किया और कहा, अगर DeepSeek का दावा सही है कि उन्होंने एक मॉडल विकसित किया है जो अमेरिकी मॉडल्स के बराबर है, लेकिन इसे बनाने में कम लागत आई है, तो यह एक सकारात्मक संकेत है।

भारत और अन्य देशों पर प्रभाव

भारत के लिए DeepSeek की सफलता महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर AI मॉडल्स को सस्ते तरीके से प्रशिक्षित किया जा सकता है। यदि AI मॉडल्स को बनाने की लागत घटाई जा सकती है, तो यह उन देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो AI रेस में शामिल होना चाहते हैं लेकिन सीमित संसाधनों (DeepSeek AI) की वजह से पीछे रह गए हैं।
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AI मॉडल्स बनाने को लेकर हो रही भारत में चर्चा

भारत में भी इस पर चर्चा (DeepSeek AI) हो रही है कि क्या देश को खुद के बड़े AI मॉडल्स बनाने चाहिए या मौजूदा ओपन-सोर्स मॉडल्स पर काम करना चाहिए। इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी ने हाल ही में कहा था कि भारत को बड़े भाषा मॉडल्स (DeepSeek AI) बनाने पर ध्यान नहीं देना चाहिए, जबकि AI उद्योग के अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी खुद की ट्रेनिंग क्षमता विकसित करनी चाहिए।

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