भविष्य निधि खाते की ब्याज दरों पर असर: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन अपनी वार्षिक निधि का 15त्न हिस्सा शेयर बाजार में ईटीएफ के जरिये निवेश करता है। पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर इस पर होने वाले कमाई निर्भर होती है। शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने पर संगठन का फंड भी घट जाता है। इससे ब्याज दरों पर असर संभव है।
राष्ट्रीय पेंशन योजना का मुनाफा घटेगा: एनपीएस भी शेयर बाजार से मिलने वाले रिटर्न से जुड़ी हुई है। इसका 50 से 70 हिस्सा बाजार में निवेश किया जाता है। इसमें गिरावट होने पर मुनाफे को भी तगड़ा झटका लग सकता है। गौरतलब है कि एनपीएस में की इक्विटी योजना में निवेशकों को 12त्न का औसत रिटर्न मिल रहा है।
एन्युटी लेने वालों की पेंशन में कमी के आसार: एनपीएस सदस्यों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन एन्युटी प्लान लेना जरूरी होता है। ये कंपनियां शेयर बाजार में निवेश करती हैं। बाजार में गिरावट से एन्युटी फंड कम होगा, जिसके चलते पेंशन राशि भी कम हो सकती है।
कारोबारी गतिविधियां धीमी होंगी: शेयर बाजारों से 5000 से अधिक कंपनियां जुड़ी हैं, जो बाजार से रकम जुटाती हैं। गिरावट आने पर कंपनी का बाजार पूंजीकरण कम होता है, जिसकी भरपाई में वक्त लगता है। ऐसे में कंपनियों की कारोबारी गतिविधियां धीमी हो जाती हैं।
रोजगार के मौके घटेंगे, वेतन-भत्तों पर भी असर: कारोबारी गतिविधि को बनाए रखने के लिए कंपनियां खर्चों में कटौती करती हैं। इससे युवाओं के लिए रोजगार के मौके भी कम हो जाते हैं। वहीं, कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में वृद्धि की उम्मीदों को भी झटका लगता है।
रुपया कमजोर होगा, महंगाई में तेजी आएगी: शेयर बाजार में गिरावट से रुपए का मूल्य भी गिरता है क्योंकि विदेशी निवेशक बाजार से बाहर निकलते है और रुपए को डॉलर में कन्वर्ट करते हैं। देश में बनने वाले कई जरूरी सामान के लिए कच्चा माल और कलपुर्जे विदेश से आते हैं। इनकी कीमत बढऩे से यहां उत्पादित सामान जैसे दवाइयां, उर्वरक आदि के दाम बढ़ जाते हैं।
अर्थव्यस्था की तेज रफ्तार पर ब्रेक संभव: हाल के कुथ महीनों में विदेशी निवेशक चीन, यूरोप और अमरीका की तरफ तेजी से आकर्षित हुए हैं। बाजार में गिरावट का इसे भी बड़ा कारण माना जा रहा है। विदेशी निवेशकों का यह रुख आगे जारी रहता है तो अर्थव्यवस्था की गति कुछ समय के लिए धीमी पड़ सकती है।
निवेशक कम होने पर सरकार की कमाई घटेगी: बाजार में निवेश करने वालों से सरकार को सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स आदि के रूप में राजस्व मिलता है। साथ ही पीएसयू कंपनियां सरकार को लाभांश देती हैं। बाजार में गिरावट से निवेशकों की भागादारी कम होगी। इससे सरकार की कमाई कम हो जाएगी और विकास कार्यों पर खर्च में कमी आएगी।