RBI ने राज्यों को दी चेतावनी
आरबीआई (RBI) की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक राज्य वित्त 2024-25 के बजट का एक अध्ययन है, में यह बताया गया है कि राज्यों ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में सफलतापूर्वक प्रगति की है। पिछले तीन वर्षों (2021-22 से 2023-24) के दौरान राज्यों ने अपने सकल राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को GDP के 3% के भीतर सीमित रखा है। इसके अलावा, राजस्व घाटे को भी 2022-23 और 2023-24 में GDP के 0.2% पर सीमित रखा गया है। हालांकि, रिपोर्ट ने यह भी आगाह किया है कि राजकोषीय घाटे में कमी के बावजूद, कई राज्यों ने अपने बजट में ऐसी योजनाओं की घोषणा की है, जिनसे उनके वित्तीय संसाधनों पर भारी बोझ पड़ सकता है। इनमें कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली, परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ता और महिलाओं को नकद सहायता जैसे प्रावधान शामिल हैं।बढ़ती सब्सिडी और उसके प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, सब्सिडी पर खर्च में तेज वृद्धि एक बड़ी चिंता का विषय है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से कृषि ऋण माफी, मुफ्त/सब्सिडी वाली सेवाओं (जैसे बिजली, परिवहन और गैस सिलेंडर) और नकद हस्तांतरण जैसी योजनाओं के कारण हो रही है।RBI का कहना है कि इस प्रकार की नीतियों से राज्यों के पास उपलब्ध संसाधन खत्म हो सकते हैं, जिससे वे अपनी बुनियादी विकास योजनाओं को पूरा करने में असमर्थ हो सकते हैं।राज्यों को दी गई सलाह
सब्सिडी व्यय का नियंत्रण: राज्यों को सब्सिडी पर होने वाले खर्च को नियंत्रित करना चाहिए और तर्कसंगत बनाना चाहिए।विकास पर ध्यान: राज्यों को अपनी पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) को बढ़ाने और व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने पर जोर देना चाहिए।
दीर्घकालिक नीतियां अपनाएं: उच्च ऋण-जीडीपी अनुपात और बढ़ते सब्सिडी बोझ के चलते, राज्यों को ऐसी दीर्घकालिक नीतियां अपनानी चाहिए जो राजकोषीय मजबूती सुनिश्चित कर सकें।