भारत पर 2023-24 में टैरिफ 12 प्रतिशत रहेगा : विश्व व्यापार संगठन
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार भारत पर 2023-24 में टैरिफ 12 प्रतिशत रहेगा, जबकि अमेरिका पर यह केवल 2.2 प्रतिशत होगा। ट्रंप ने इंटरव्यू में कहा थी है कि उनका मानना है कि भारत वे टैरिफ बहुत तक कम करने की कोशिश करेगा, लेकिन 2 अप्रेल को अमेरिका वे टैरिफ वसूल करेगा, जो भारत हमसे वसूल करता रहा है। अब सुलगता हुआ सवाल है कि इस कदम का भारत पर क्या असर होगा? आइए जानते हैं कि वैश्विक एजेंसियां इस पर क्या राय रखती हैं।
भारतीय GDP को 10 से 60 बेसिस प्वाइंट्स का नुकसान : गोल्डमैन सैक्स
गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि ट्रंप के टैरिफ से भारतीय GDP को 10 से 60 बेसिस प्वाइंट्स का नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का अमेरिका को सकल निर्यात GDP का लगभग 2.0% है, जो अन्य उभरते बाजारों में सबसे कम है। हालांकि, गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि अमेरिका के वैश्विक टैरिफ के चलते भारत की घरेलू गतिविधि पर ज्यादा असर होगा, क्योंकि अमेरिका के लिए भारत का जोखिम अन्य देशों के मुकाबले अधिक है, जिससे भारतीय GDP वृद्धि में 0.1 से 0.6 प्रतिशत की कमी हो सकती है।
नॉन-टैरिफ उपायों के माध्यम से टैरिफ लगा सकता है
गोल्डमैन सैक्स ने बताया कि अमेरिका भारत पर तीन तरीकों से टैरिफ लगा सकता है: आयातित उत्पादों पर औसत टैरिफ अंतर के आधार पर, भारत की ओर से लगाए गए टैरिफ के बराबर टैरिफ लगाकर, या प्रशासनिक बाधाओं, आयात लाइसेंस आदि जैसे नॉन-टैरिफ उपायों के माध्यम से टैरिफ लगा सकता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज पर इसका सीधे तौर पर असर हो सकता है : मूडीज
मूडीज रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की ऑटोमोटिव, स्टील, रसायन और व्यापार सेवा क्षेत्र की कंपनियां, अमेरिका के टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होंगी, जिसके कारण उनकी लागत में वृद्धि हो सकती है और मांग में कमी आ सकती है। हालांकि, मूडीज का मानना है कि खनन, तेल और गैस, शिपिंग, निवेश होल्डिंग कंपनियां और कृषि क्षेत्र इस असर को सहन करने के लिए सबसे सक्षम हैं। मूडीज ने कहा कि स्टील और रसायन कंपनियों पर अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ का प्रत्यक्ष असर सीमित होगा, लेकिन इसके कारण एशिया सहित अन्य बाजारों में अधिक स्टील और पेट्रोकेमिकल्स भेजे जा सकते हैं, जिससे आपूर्ति और बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट आ सकती है, जिससे इन कंपनियों के मुनाफे में कमी आ सकती है। ऐसे में आईटी कंपनियों के लिए बढ़ी हुई लागत सहन करना आसान हो सकता है। मूडीज का यह भी कहना है कि अपने उत्पाद का आधा हिस्सा निर्यात करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़े उद्योग पर इसका सीधे तौर पर असर हो सकता है।
अमेरिकी व्यापार नीतियां अपेक्षा से अधिक आक्रामक हो सकती हैं : Fitch
Fitch ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। हालांकि, Fitch ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी व्यापार नीतियां अपेक्षा से अधिक आक्रामक हो सकती हैं, भारत के विकास पूर्वानुमान के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। Fitch का कहना है कि भारत में व्यापारिक विश्वास मजबूत बना हुआ है, और प्राइवेट सेक्टर को बैंक लोन में दोहरे अंकों की वृद्धि जारी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत अमेरिकी टैरिफ से कुछ हद तक तो बच सकता है, लेकिन उसकी बाहरी मांग पर निर्भरता कम है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित अप्रत्यक्ष प्रभाव की संभावना : S&P Global
S&P Global की नई रिपोर्ट के अनुसार भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और अमेरिका से कम व्यापारिक संपर्क, उसे ट्रंप के टैरिफ के प्रभाव से बचाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारत का निर्यात GDP का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, कुछ खास क्षेत्रों जैसे स्टील और रसायन, पर प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन भारतीय कंपनियों ने S&P से रेटिंग प्राप्त की है, वे इस अस्थायी मंदी को झेलने के लिए सक्षम होंगी।
टैरिफ युद्ध से काफी हद तक बचा जा सकता है
बहरहाल इस तरह, वैश्विक एजेंसियां यह मानती हैं कि भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और अमेरिका से कम व्यापारिक संपर्क उसे इस टैरिफ युद्ध से काफी हद तक बचा सकता है, लेकिन कुछ उद्योगों, विशेषकर स्टील, रसायन और ऑटोमोटिव क्षेत्र को इस कदम का सीधा असर होगा। भारत को 2 अप्रेल के बाद अमेरिका से क्या प्रतिक्रिया मिलती है, यह भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी।