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छतरपुर

अमृतं जलम् अभियान: भैरा गांव में स्वयंसेवकों ने किया तालाब की सफाई, चार एकड़ क्षेत्रफल से हटाया कचरा

विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे वर्षा जल को संग्रहित कर खेती, पशुपालन और पेयजल संकट को दूर किया जा सकता है। हाइड्रोलॉजिस्ट राहुल दुबे ने तालाब की जलधारण क्षमता और भूजल रिचार्ज की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, वहीं कृषि विशेषज्ञ इरशाद खान ने जैविक खेती और जल का विवेकपूर्ण उपयोग करने के तरीकों पर बात की।

छतरपुरApr 21, 2025 / 10:30 am

Dharmendra Singh

amritam jalam

अमृतं जलम् अभियान के तहत तालाब की सफाई करते हुए

छतरपुर. जल संरक्षण की दिशा में जिले में चल रहे अमृतं जलम् अभियान के अंतर्गत रविवार को बसारी पंचायत के ग्राम भैरा में प्रेरणादायी सफाई अभियान चलाया गया। गांव के चार एकड़ क्षेत्रफल में फैले तालाब की सफाई करते हुए स्वयंसेवकों ने श्रमदान कर उसे कचरा मुक्त किया। यह अभियान पत्रिका के अमृतं जलम् मुहिम और प्रशासन के जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना और जल के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

तालाब की गहराई तक जाकर कचरे और झाडिय़ों को हटाया

भैरा गांव में हुए इस अभियान में राजनगर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति के अध्यक्ष, सचिव और सदस्यों सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक शामिल हुए। तालाब की स्थिति को देखकर सभी ने श्रमदान करने का संकल्प लिया और तालाब की गहराई तक जाकर कचरे और झाडिय़ों को हटाया।कार्यक्रम में विशेष रूप से सामाजिक संस्था नवांकुर से अनूप तिवारी, जल विशेषज्ञ हाइड्रोलॉजिस्ट राहुल दुबे, कृषि विशेषज्ञ इरशाद खान, नामांकित संस्था से नेहा तिवारी और उनकी टीम की सदस्य शिप्रा तिवारी, प्रीति पांडे, परामर्शदाता वंदना तिवारी और एमएसडब्ल्यू के छात्र-छात्राओं ने सहभागिता निभाई। सभी ने मिलकर तालाब के भीतर और आसपास फैले प्लास्टिक, पॉलिथीन, घास-फूस और अन्य कचरे को हटाया।

जल संरक्षण के महत्व पर भी चर्चा

कार्यक्रम के दौरान जल संरक्षण के महत्व पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे वर्षा जल को संग्रहित कर खेती, पशुपालन और पेयजल संकट को दूर किया जा सकता है। हाइड्रोलॉजिस्ट राहुल दुबे ने तालाब की जलधारण क्षमता और भूजल रिचार्ज की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, वहीं कृषि विशेषज्ञ इरशाद खान ने जैविक खेती और जल का विवेकपूर्ण उपयोग करने के तरीकों पर बात की। इस दौरान गांव के लोगों ने इस अभियान को नियमित रूप से चलाने और अन्य जल स्रोतों की सफाई के लिए भी आगे आने का संकल्प लिया। गांव की महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी इस अभियान में शरीक हुए, जिससे सामूहिक सहभागिता की मिसाल देखने को मिली। अमृतं जलम् जैसा अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों की महत्ता को उजागर कर रहा है और जनभागीदारी से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम बनता जा रहा है। भैरा गांव का यह प्रयास निश्चित रूप से आने वाली पीढिय़ों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
फोटो- अमृतं जलम् अभियान के तहत तालाब की सफाई करते हुए

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