जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार ने सख्त रुख अपनाया
नंदन फल उद्यान योजना के तहत बिजावर जनपद की चार ग्राम पंचायतों में सामने आई गड़बड़ी को लेकर जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की है। जांच समिति में आरईएस के प्रभारी कार्यपालन यंत्री वीके रिछारिया, सहायक यंत्री जितेंद्र अहिरवार एवं मनरेगा जिला पंचायत के प्रभारी लेखापाल को शामिल किया गया है। सीईओ ने टीम को निर्देश दिए हैं कि वे पूरे मामले की जांच कर तीन दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
जमीन पर नहीं लगा एक भी पौधा
प्राप्त जानकारी के अनुसार नंदन फल उद्यान योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत महुआझाला, गोपालपुरा, कसार और बिलगाय के कुल 14 किसानों को लाभान्वित करने की स्वीकृति दी गई थी। परंतु जांच में सामने आया कि इन किसानों के खेतों में एक भी पौधा नहीं लगाया गया, इसके बावजूद जनपद के इंजीनियरों और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी देयक तैयार कर 35 लाख रुपए के बिल सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कर दिए गए।
मस्टर रोल भी बनाया
सूत्रों की मानें तो यह योजना मनरेगा के अंतर्गत चलाई गई थी, जिसमें एई (सहायक यंत्री), उपयंत्री और एपीओ (असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर) की मिलीभगत से यह खेल रचा गया। दूसरे सेक्टर के उपयंत्री से इस्टीमेट बनवाया गया और तीन साल में खर्च की जाने वाली पूरी राशि को पहले ही साल में जारी करवा लिया गया। यही नहीं, कार्यस्थल पर मस्टर रोल से राशि निकाली गई, लेकिन श्रमिकों को कोई काम नहीं मिला।जिला पंचायत सीईओ ने दिखाई सख्ती जैसे ही यह घोटाला उजागर हुआ जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार ने तुरंत इस मामले में सहायक यंत्री ओपी द्विवेदी को स्थानीय पद से हटाकर छतरपुर कार्यालय में अटैच करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही उन्होंने घोटाले की पूरी जांच के आदेश भी दिए हैं। प्रारंभिक जांच में यह पुष्टि हुई है कि सरकारी दस्तावेजों में ही पूरी योजना को कागजों में ही सफल बना दिया गया, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट थी।
जनपद सीईओ भी जांच के दायरे में
इस पूरे मामले में चर्चा में आने वाला नाम जनपद पंचायत बिजावर की सीईओ अंजना नागर का भी है। जानकारी के अनुसार, नौगांव में कार्यकाल के दौरान उन पर पहले भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे, जिन्हें बाद में दबा दिया गया। अब एक बार फिर उनके कार्यकाल में यह बड़ा वित्तीय घोटाला उजागर हुआ है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जांच के दायरे में और भी अधिकारी आएंगे।
आगे और अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
यह पूरा घोटाला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। इसमें मनरेगा अमला, लेखा शाखा, तकनीकी अमला और जनपद प्रशासन के कुछ प्रमुख अधिकारी भी शक के दायरे में हैं। जांच में अगर उनके खिलाफ भी ठोस प्रमाण सामने आए, तो आने वाले दिनों में और कई बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।