scriptड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर उग आई झाडिय़ां,जैसे कभी न होते हो परीक्षण, फिर भी हर साल जारी हो रहे ढाई हजार लाइसेंस | Bushes have grown on the driving test track, as if tests are never conducted, yet 2500 licenses are issued every year | Patrika News
छतरपुर

ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर उग आई झाडिय़ां,जैसे कभी न होते हो परीक्षण, फिर भी हर साल जारी हो रहे ढाई हजार लाइसेंस

वर्षों से यहां ड्राइविंग परीक्षण नहीं होने के कारण ट्रैक पर घास और झाडयि़ां उग आई हैं। ट्रैक की ईंटें उखड़ गई हैं और कई जगहों पर दरारें आ चुकी हैं। हालत यह है कि अब यह ट्रैक बच्चों का खेल मैदान और आवारा पशुओं का अड्डा बन गया है।

छतरपुरApr 13, 2025 / 10:48 am

Dharmendra Singh

driving test

ड्राइविंग ट्रैक

जिला परिवहन कार्यालय में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की हालत बद से बदतर हो चुकी है। वर्षों से यहां ड्राइविंग परीक्षण नहीं होने के कारण ट्रैक पर घास और झाडयि़ां उग आई हैं। ट्रैक की ईंटें उखड़ गई हैं और कई जगहों पर दरारें आ चुकी हैं। हालत यह है कि अब यह ट्रैक बच्चों का खेल मैदान और आवारा पशुओं का अड्डा बन गया है।

कोर टेस्ट पर उठ रहे सवाल


इस लापरवाही के बावजूद हर साल यहां से लगभग ढाई हजार ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो रहे हैं, जिनमें से अधिकांश बिना किसी व्यावहारिक परीक्षण (कोर टेस्ट) के दिए जा रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि ऑनलाइन औपचारिकता पूरी करने के बाद आवेदकों से सुविधा शुल्क लेकर दलाल लाइसेंस बनवा रहे हैं। ट्रैक की बदहाली और आवेदकों के अनुभव इस बात की पुष्टि करते हैं कि लंबे समय से यहां कोई ड्राइविंग टेस्ट नहीं हुआ है।

लाइसेंस आवेदकों की आपबीती


ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने पहुंचे दो युवाओं ने बताया कि वे टेस्ट देने की तैयारी के साथ आए थे, लेकिन वहां मौजूद एक दलाल ने कहा कि यहां टेस्ट नहीं होता, शुल्क दो, लाइसेंस मिल जाएगा। इस प्रकार के बयान से यह स्पष्ट है कि टेस्ट ट्रैक सिर्फ एक शोपीस बनकर रह गया है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वर्षों से ट्रैक का कोई उपयोग नहीं हुआ है। ऊपर से इस पर बड़े पत्थर रखकर आवाजाही भी बंद कर दी गई है। इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि बिना टेस्ट के नौसिखिया चालकों को वाहन चलाने की अनुमति मिल रही है, जिससे सडक़ दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है।

हैवी लाइसेंस भी बांट रहे


जानकारों का आरोप है कि परिवहन विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से दलाल यह सारा गोरखधंधा चला रहे हैं। कहा जा रहा है कि 5000 में हैवी लाइसेंस तक बनवा दिए जा रहे हैं, वो भी बिना किसी जांच या ड्राइविंग स्किल के। यह न सिर्फ कानून की अवहेलना है बल्कि जनसुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया


इस गंभीर मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एआरटीओ मधु सिंह ने कहा, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बने ट्रैक की हालत में सुधार कराया जाएगा। यदि कोर टेस्ट के बिना लाइसेंस बन रहे हैं, तो यह बहुत ही गंभीर मामला है। हम पूरे मामले की जानकारी एकत्रित कर रहे हैं और परिवहन नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा।

पत्रिका व्यू


छतरपुर का ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक व्यवस्थागत लापरवाही और भ्रष्टाचार का आईना बन गया है। यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो इसके गंभीर सामाजिक और कानूनी परिणाम हो सकते हैं। ज़रूरत है कि ट्रैक को पुन: उपयोगी बनाया जाए और लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी व जवाबदेह बनाया जाए, ताकि सडक़ सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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