गिट्टी पर दोहरा टैक्स: एमपी में रॉयल्टी, यूपी में आईएसटीपी
छतरपुर जिले के क्रशर प्लांट मुख्य रूप से बदौरा कलां, घटेहरी, मुड़ेहरा, प्रकाश बम्हौरी और दिदवारा जैसे इलाकों में संचालित होते हैं। इनका प्रमुख बाजार यूपी रहा है। पहले एमपी की रॉयल्टी देकर खनिज ले जाने वाले कारोबारी अब यूपी की सीमा में प्रवेश करते ही प्रति घनमीटर 100 रुपए का अतिरिक्त टैक्स चुका रहे हैं। साथ ही डीएमएफ और टीडीएस जैसे अन्य चार्जेस भी बढ़ रहे हैं। इसके कारण एमपी से यूपी में खनिज ले जाना अब घाटे का सौदा बन गया है।
कन्वर्जन फैक्टर बना नई चुनौती
यूपी की कन्वर्जन पॉलिसी के कारण खनिज के मापन और परिवहन की गणना में बदलाव किया गया है। यूपी में 1 घनमीटर की रॉयल्टी पर कारोबारी अब 1.64 टन माल ले जा सकते हैं, जबकि एमपी में 1 घनमीटर में केवल 1.42 टन खनिज माना जाता है। इससे एमपी के कारोबारी जब यूपी की सीमा में प्रवेश करते हैं, तो वही वाहन ओवरलोड की श्रेणी में आ जाते हैं। इससे न केवल अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता है बल्कि कानूनन कार्रवाई का भी डर बना रहता है।
प्रमुख मंडियां हुईं सुनसान, श्रमिकों का पलायन शुरू
बदौरा कलां, घटेहरी, मुड़ेहरा को मिलाकर प्रकाश बम्हौरी में बनाई गई मंडी में 30 में से 18 प्लांट बंद हो चुके हैं। वहीं दिदवारा में 10 में से 5 प्लांटों ने उत्पादन रोक दिया है। इन क्रशर प्लांट्स के बंद होने से क्षेत्रीय श्रमिकों का जीवन प्रभावित हुआ है। मजदूरी से अपना जीवन यापन करने वाले परिवार आज रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं।
स्थानीय बाजार नहीं दे पा रहा सहारा
जिले में गिट्टी की खपत सीमित है। ऐसे में स्थानीय बाजार से उत्पादन लागत भी नहीं निकल पा रही है। जो कारोबारी आज भी कार्यरत हैं, वे घाटे में काम कर रहे हैं। स्थानीय मार्केट की दरें कम हैं, जबकि उत्पादन लागत बढ़ चुकी है।
उद्योग के पुनर्जीवन की उम्मीद
क्रशर उद्योग पर मंडरा रहे संकट को लेकर शासन को पूरी जानकारी भेजी गई है। जिले के राजस्व पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। आईएसटीपी और कन्वर्जन फैक्टर से प्रभावित कारोबारियों की मांग को उचित फोरम पर उठाया जाएगा ताकि इस उद्योग को फिर से खड़ा किया जा सके।
अमित मिश्रा, डिप्टी डायरेक्टर माइनिंग