scriptजिले की 75 प्रतिशत पंचायतों में आबादी की जमीन से ग्रीन बेल्ट गायब, अब सरकारी भूमि पर ग्राम वन बनाए जाएंगे | Green belts have disappeared from inhabited land in 75 percent of the panchayats of the district, now village forests will be built on government land | Patrika News
छतरपुर

जिले की 75 प्रतिशत पंचायतों में आबादी की जमीन से ग्रीन बेल्ट गायब, अब सरकारी भूमि पर ग्राम वन बनाए जाएंगे

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नया कदम उठाया है। अब तक यह योजना प्रदेश की कुछ चुनी हुई पंचायतों तक सीमित थी, लेकिन अब इसे बदलते हुए अगले चार साल में जिले की सभी पंचायतों में ग्राम वन विकसित किया जाएगा।

छतरपुरMar 24, 2025 / 10:37 am

Dharmendra Singh

village

एआई जनरेटेड ग्राम पंचायत की सरकारी जमीन पर ग्रीन बेल्ट

जिले के 8 जनपद पंचायतों में कुल 559 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से 75 प्रतिशत पंचायतों में आबादी की जमीन से ग्रीन बेल्ट गायब हो गई है। इस समस्या के कारण गांवों में पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है और बढ़ती आबादी, स्वतंत्र इकाइयों के रूप में संयुक्त परिवारों का स्थापित होना, और खेती के लिए शत-प्रतिशत भूमि का उपयोग करना प्रमुख कारण बन रहे हैं। इन कारणों से गांवों की बड़ी आबादी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडऩे लगा है। यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिससे गांवों के आसपास की भूमि पर अतिक्रमण की घटनाएं भी बढ़ी हैं। अब इसे रोकने और समाधान के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नया कदम उठाया है। अब तक यह योजना प्रदेश की कुछ चुनी हुई पंचायतों तक सीमित थी, लेकिन अब इसे बदलते हुए अगले चार साल में जिले की सभी पंचायतों में ग्राम वन विकसित किया जाएगा।

सभी आठ पंचायतों में बनाने की योजना


जिले की आठ जनपद पंचायतों में 559 ग्राम पंचायतें हैं। पहले इन पंचायतों में दो से छह गांव, टोला, और मजरे होते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढकऱ 10 से 15 हो गई है। इसका मुख्य कारण पंचायतों की बढ़ती आबादी और संयुक्त परिवारों का स्वतंत्र इकाई के रूप में अस्तित्व में आना है, जिससे गांवों की बसाहट का दायरा तेजी से बढ़ा है। साथ ही, जिले के वन भूमि पर पिछले कुछ वर्षों में अतिक्रमण हुआ है, और यह समस्या बढ़ती जा रही है। वन विभाग अब इस भूमि पर अतिक्रमण को चिह्नित करेगा और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इसे अतिक्रमणमुक्त कराएगा। इसके बाद, इन भूमि को संबंधित पंचायतों को सौंप दिया जाएगा और पंचायतों के माध्यम से पौधरोपण कर इसे ग्रीन बेल्ट में विकसित किया जाएगा। यह कदम जिले में हरियाली और वन क्षेत्र के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

पंचायत समितियां करेंगी निगरानी


जिला मनरेगा प्रभारी एपीओ दिनेश गुप्ता ने बताया कि जिले की आधे से ज्यादा पंचायतों के पास सरकारी भूमि उपलब्ध है, जिस पर ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाएगा। स्थानीय पंचायतों को यह कार्य सौंपा जाएगा और पौधरोपण की निगरानी पंचायत समितियां करेंगी। इसके अलावा, जिन पंचायतों के पास खुद की भूमि नहीं है, उन पंचायतों में वीरान वन भूमि पर ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाएगा।

पौधों की देखभाल व निगरानी की चुनौती


पिछले वर्षों में हरियाली बढ़ाने के लिए कई पंचायतों में लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन पौधरोपण की निगरानी का अभाव था, जिससे कई पौधे उगने के बाद भी ठीक से विकसित नहीं हो पाए। अब इस समस्या को हल करने के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी, और निगरानी की प्रक्रिया को सख्त किया जाएगा ताकि जिले में हरियाली को बढ़ावा मिल सके और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके। इसके साथ ही, जिले में स्थानीय अफसरों द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण पुराने बरगद, पीपल, नीम और इमली जैसे महत्वपूर्ण पेड़ों की बलि दी गई, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा। अब इस स्थिति में सुधार लाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

फैक्ट फाइल


विकासखंड- 08
पंचायतें- 559
गांव- 1210
आबादी-1762857

इनका कहना है


पंचायत समितियों के माध्यम से ग्रीन बेल्ट का विकास कराया जाएगा। देखभाल और निगरानी भी समितियों के जरिए होगी, ताकि ग्रीन बेल्ट सुरक्षित रहें।
दिनेश गुप्ता, प्रभारी, मनरेगा

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